सूरह अल-मुल्क (आसान अलफ़ाज़ में)

“या अल्लाह! हम तेरे बाबरकत कलाम के सफर पर निकल रहे हैं, न सिर्फ पढ़ने के लिए बल्कि गौर व फिकर करने, महसूस करने, मुहब्बत करने और अपनी ज़िंदगी को संवारने के लिए। हमारे दिलों को कुरआन की बहार से सरसब्ज़ व शादाब कर दे।”

मुखलिसाना नोट: कुरआन करीम की फसाहत व बलागत और इसकी गहराई को किसी भी दूसरी ज़बान में पूरी तरह बयान करना मुमकिन नहीं। मेरी कोशिश सिर्फ यह है कि अरबी मतन के लिए हिंदी में एक रहनुमाई फराहम की जाए ताकि इब्तिदाई सतह के कारीन को सहूलत हो। एक संजीदा तालिब इल्म को चाहिए कि वह अरबी ज़बान की तफहीम को मुसल्सल कोशिशों के ज़रिए मज़ीद गहरा करे। कारीन से गुज़ारिश है कि अरबी मतन का मुकाबला कुरआन करीम के मतबूआ नुस्खे के साथ करें। अगर कोई इख्तिलाफ नज़र आए, तो बराए मेहरबानी टिप्पणी के सेक्शन में ज़िक्र करें ताकि बरवाक़्त इसलाह की जा सके। शुक्रिया।

डॉक्टर अनवर जमीक सिद्दीकी

🌙 सूरह अल-मुल्क

यह वह अज़ीम सूरह है जिसे नबी करीम ﷺ अक्सर रात के वक़्त तिलावत फरमाते थे। आप ﷺ ने इसे “अज़ाब-ए-कब्र से बचाने वाली” करार दिया। यह एक मुहाफिज़ सूरह है, जो ईमान वालों को ढाल फराहम करती है।

🌙 सूरह अल-मुल्क – आयत 1

🕋 अरबी मतन:
تَبَارَكَ ٱلَّذِى بِيَدِهِ ٱلْمُلْكُ وَهُوَ عَلَىٰ كُلِّ شَىْءٍۢ قَدِيرٌۭ

📘 लफ्ज़ बा लफ्ज़ मानी:
🕌 तबारक — बाबरकत है, बे-इंतिहा खूबियों वाला ✨
🕌 अल्लज़ी — वह ज़ात जो 🌿
🕌 बियदिहि — जिसके हाथ में है 🤲
🕌 अल-मुल्कु — बादशाहत, मुकम्मल इख्तियार 👑
🕌 वहुवा — और वही ☝️
🕌 अला कुल्लि शयइन — हर चीज़ पर 🌎
🕌 क़दीरुन — बे-हद कुदरत वाला 💪

📘 वज़ाहत:
यह पहली आयत इलाही ताकत की एक गूंज है, जो हमें याद दिलाती है कि तमाम इख्तियार, मल्कियत और कुदरत सिर्फ अल्लाह ताला के पास है। वह न सिर्फ खालिक है बल्कि तमाम कायनात का मालिक और मुन्तज़िम भी है। ज़िंदगी, मौत, कुदरत के कवानीन, वक़्त, और सल्तनतों का उरूज व ज़वाल—सब कुछ उसी के हाथ में है।

💖 “तबारक” का मतलब है लाज़वाल बरकत, अज़मत और बे-हद बुलंदी। यह ज़ाहिर करता है कि अल्लाह की बादशाहत नाकिस नहीं बल्कि अबदी और मुकम्मल है।

📜 तारीखी पस-मंज़र :
यह सूरह मक्का मुकर्रमा में नाज़िल हुई, जब नबी करीम ﷺ को शदीद मुखालिफत का सामना था। यह आयात कुफ्फार को याद दिलाती हैं कि अल्लाह ही असल मालिक व मुख्तार है।

🌟 फिक्र व हिकमत:
❓ क्या हम यह गुमान करते हैं कि सब कुछ हमारे इख्तियार में है?
❓ क्या हम ऐसी चीज़ों के बारे में फिक्र मंद होते हैं जो हमारे काबू में नहीं?
❓ क्या हमें अपने मामलात अल्लाह के सुपुर्द करने का शउर है?

यह आयत अल्लाह की कुदरत पर भरोसा करने की दावत देती है—हम इसकी हिफाज़त में महफूज़ हैं।

🧭 अमली कदम:
🌿 आज, अपने दिल में मौजूद एक बोझ (कोई खौफ, कोई पशेमानी, कोई फिक्र) को एक लम्हा दें और बुलंद आवाज़ में कहें:

💙 “या मालिक अल-मुल्क, मैं यह मामला तुझे सौंपता हूँ। तू क़दीर है, और मैं तुझ पर भरोसा करता हूँ।”

यह कुरआनी पैगाम हमें सुकून और तस्सल्ली देता है। अल्लाह पर भरोसा रखें, क्योंकि वही तमाम मामलात का मालिक है। 💖✨

🌙 सूरह अल-मुल्क – आयत 2

🕋 अरबी मतन:
ٱلَّذِى خَلَقَ ٱلْمَوْتَ وَٱلْحَيَوٰةَ لِيَبْلُوَكُمْ أَيُّكُمْ أَحْسَنُ عَمَلًۭا ۚ وَهُوَ ٱلْعَزِيزُ ٱلْغَفُورُ

📖 लफ्ज़ बा लफ्ज़ मानी:
🕌 अल्लज़ी — वह ज़ात जिसने (The One who)
🕌 खलक़ — पैदा किया (Created)
🕌 अल-मौता — मौत (Death)
🕌 वल-हयाता — और ज़िंदगी (And life)
🕌 लियब्लुवकुम — ताकि तुम्हें आज़माए (To test you)
🕌 अय्युकुम — तुम में कौन (Which of you)
🕌 अहसनु अमलन — सबसे बेहतर अमल वाला (Best in deeds)
🕌 वहुवा — और वही (And He)
🕌 अल-अज़ीज़ु — ज़बरदस्त (The Almighty)
🕌 अल-गफूरु — बहुत बख्शने वाला (The Most Forgiving)

📘 वज़ाहत:
यह आयत हमारी ज़िंदगी के मकसद को स्पष्ट

करती है:

ज़िंदगी और मौत बिला वजह नहीं बल्कि बाकायदा मंसूबा बंदी के तहत तख्लीक की गई हैं—ताकि हमें हमारे आमाल से आज़माया जाए।

🔹 नोट करें: अल्लाह ने यह नहीं फरमाया कि “जो सबसे ज़ियादा आमाल करता है” बल्कि “जो सबसे बेहतरीन (अहसन) आमाल करता है”। यह अमल की तादाद के बजाए नियत, इख्लास, और खूबी पर ज़ोर देता है।

📜 तारीखी पस-मंज़र:
यह आयत मक्का के सरकश कुफ्फार को खिताब करती है, जो ज़िंदगी के असल मकसद से गाफिल थे।

🌟 फिक्र व हिकमत:
💭 खुद से सवाल करें:
❓ क्या मैं इस इम्तिहान की हकीकत को समझता हूँ?
❓ क्या मैं अपने आमाल में बेहतरी लाने की कोशिश करता हूँ या बस आम तौर पर करता हूँ?
❓ क्या मैंने अपनी नियत को इख्लास के साथ परखा है?

👉 “महज़ ज़िंदगी गुज़ारने में मशगूल न रहें—मकसद के साथ जिएं। क्योंकि मौत भी एक इलाही मंसूबे के तहत तख्लीक की गई है।”

🧭 अमली कदम:
🌿 आज, एक नेक अमल (नमाज़, सदक़ा, हुस्न-ए-इख्लाक) को इख्तियार करें और इसके मेयार को बुलंद करें:

✔ इख्लास और सच्चाई शामिल करें
✔ एहसान (बेहतरी) के साथ अंजाम दें
✔ अपने दिल को इसमें शामिल करें
✔ और खुद से कहें:
💙 “या रब, मुझे इस आज़माइश में कामयाब होने की तौफीक अता फरमा, जिससे तू राज़ी हो जाए।”

🤲 दुआ:
“या अल्लाह, ज़िंदगी और मौत के खालिक, मेरी ज़िंदगी को मकसद अता कर और मेरी मौत को बाइज़्ज़त बना। मेरे आमाल को तेरे नज़दीक सबसे बेहतरीन बना दे। मुझे अपनी अज़मत (अल-अज़ीज़) से कुव्वत दे और अपनी मगफिरत (अल-गफूर) से नवाज़। आमीन।”

🌸 फिक्र अंगेज़ शायराना पहलू:
कब्ल इसके कि तुम्हारी पहली सांस ली जाए,
तुम खामोशी की सल्तनत में थे—
जहाँ सुकून ने तुम्हारी रूह को याद-ए-इलाही में लपेट रखा था।
फिर ज़िंदगी आई, रौशन और पुरजोश—एक इम्तिहान, एक मैदान।
और एक दिन, जैसे पत्ता अपनी जड़ की तरफ लौटता है,
तुम मौत की देहलीज़ पर कदम रखोगे—
न अख्तिताम की तरह,
बल्कि एक दरवाज़े की तरह… वापस अपने असल मकाम की तरफ।

🌙 सूरह अल-मुल्क – आयत 3 (67:3)

🕋 अरबी मतन:
ٱلَّذِى خَلَقَ سَبْعَ سَمَـٰوَٟتٍۢ طِبَاقًۭا ۖ مَّا تَرَىٰ فِى خَلْقِ ٱلرَّحْمَـٰنِ مِن تَفَـٰوُتٍۢ ۖ فَٱرْجِعِ ٱلْبَصَرَ هَلْ تَرَىٰ مِن فُطُورٍۢ

📖 तर्जुमा (रोमन उर्दू ट्रांसलिटरेशन):
Alladhī khalaqa sabʿa samāwātin ṭibāqan ۖ mā tarā fī khalqi r-raḥmāni min tafāwutin ۖ fa-irjiʿi l-baṣara hal tarā min fuṭūr

📘 लफ्ज़ बा लफ्ज़ मानी:
🕌 अल्लज़ी — वह जिसने (The One who)
🕌 खलक़ — पैदा किया (Created)
🕌 साबअ — सात (Seven)
🕌 समावातिन — आसमान (Heavens)
🕌 तिबाक़न — तह दर तह (Layer upon layer)
🕌 मा — नहीं (Not)
🕌 तर — तुम देखोगे (You see)
🕌 फी — में (In)
🕌 खल्क़ि — तख्लीक (Creation)
🕌 र-रहमानि — निहायत रहमान (The Most Merciful)
🕌 मिन — कोई भी (Any)
🕌 तफावुतिन — फर्क / अदम मुताबक़त (Discrepancy)
🕌 फ-इरजिअि — तो लौटाओ (So return)
🕌 अल-बसरा — नज़र (Sight)
🕌 हल — क्या (Do you)
🕌 तर — तुम देखते हो (You see)
🕌 मिन — कोई (Any)
🕌 फुतुरीन — नुक़्स / खला (Flaw / Crack)

🌿 सादा मतलब:
वह ज़ात है जिसने सात आसमानों को एक के ऊपर एक बनाया। रहमान की तख्लीक में कोई फर्क या कमी नहीं। तो अपनी नज़र को लौटाओ—क्या तुम इसमें कोई नुक़्स देखते हो?

🧠 गौर व फिक्र:
🔹 सात आसमान (साबअ समावातिन तिबाक़न): यह मुख्तलिफ आलमों की तरफ इशारा है, जो हमारी महदूद नज़र से कहीं वसीअ हैं।
🔹 अल-रहमान की तख्लीक (फी खल्क़ि र-रहमानि): अल्लाह जब अपनी अज़मत बयान करते हैं, तो रहमान यानी मेहरबान ज़ात का नाम लेते हैं, यह इस बात की याद दिलाता है कि अल्लाह की कुदरत हमेशा रहमत से लिपटी हुई है।
🔹 कोई फर्क नहीं (मिन तफावुतिन): यह आयत हमें चैलेंज देती है कि हम कायनात में नुक़्स तलाश करें—लेकिन हम नाकाम रहेंगे, क्योंकि यह मुकम्मल हम आहंगी और निज़ाम के तहत है।
🔹 दोबारा देखो (फ-इरजिअिल बसरा): यह एक दावत है गौर व फिक्र की। हमारी बसीरत और अक्ल जितनी भी तरक्की कर ले, अल्लाह की हिकमत के सामने आजिज़ रहेगी।
🔹 क्या कोई नुक़्स है? (हल तर मिन फुतुरीन): यह सवाल नहीं बल्कि गौर व फिक्र की दावत है। अल्लाह फरमा रहे हैं: देखो… फिर देखो… फिर देखो… तुम मेरी तख्लीक में कोई नुक़्स नहीं पाओगे। न सितारों में, न ज़मीन में, न तुम्हारी रूह में।

🌸 ज़ाती गौर व फिक्र:
💭 “ऐ मेरे रब! मैं आसमानों को देखता हूँ, सितारों को देखता हूँ, कायनात की तरतीब को देखता हूँ… और मैं तुझे महसूस करता हूँ। इतनी हम आहंगी तेरी कुदरत के बगैर मुमकिन नहीं। तू ने हर मदार, हर ज़र्रा, हर साँस को हिकमत से बनाया है। मुझे भी अपनी तख्लीक की तरह बावक़ार, ताबे और मकसद से भरपूर बना।”

🌌 सबक:
यह महज़ देखने का नहीं, बल्कि दिल से महसूस करने का पैगाम है। अल्लाह हमें सिखा रहे हैं कि कायनात की हम आहंगी, उनकी हिकमत की गहराई की अक्सी करती है।

🌸 हकीकी गौर व फिक्र:
💙 “या अल्लाह! मैं बार बार अपनी नज़र लौटाता हूँ—लेकिन मुझे हर तरफ सिर्फ तरतीब, हम आहंगी और अज़मत नज़र आती है। अगर तेरी आसमान में कोई नुक़्स नहीं, तो मेरी ज़िंदगी में भी तेरी हिकमत में कोई कमी नहीं। जब तू मुझे आज़माता है, मेरी दुआओं में ताखीर करता है, अपनी हिकमत को छुपाता है—तो मैं तुझ पर वही एतिमाद करूँ जैसे सितारे तुझ पर करते हैं। मुझे कभी तेरी रहमत की कशिश से दूर न होने देना।”

✨ अल्लाह हमें दावत दे रहे हैं कि हम कायनात की तरतीब से सबक सीखें—और अपनी ज़िंदगी में इस तरतीब को तलाश करें।

🌙 सूरह अल-मुल्क – आयत 4

🕋 अरबी मतन:
ثُمَّ ٱرْجِعِ ٱلْبَصَرَ كَرَّتَيْنِ يَنقَلِبْ إِلَيْكَ ٱلْبَصَرُ خَاسِئًۭا وَهُوَ حَسِيرٌۭ

📖 तर्जुमा (रोमन उर्दू ट्रांसलिटरेशन):
Thumma irjiʿil-baṣara karratayn yanqalib ilayka al-baṣaru khāsi’an wa huwa ḥasīr

📘 लफ्ज़ बा लफ्ज़ मानी:
🕌 सुम्मा — फिर (Then)
🕌 इरजिअि — लौटाओ (Return)
🕌 अल-बसरा — नज़र / बसीरत (The vision)
🕌 कर्रतैन — दो बार (Twice)
🕌 यनक़लिब — वापस आएगी (Will return)
🕌 इलैका — तेरी तरफ (To you)
🕌 अल-बसारु — नज़र (The vision)
🕌 खासिअन — ज़लील / मायूस (Humbled / Frustrated)
🕌 वहुवा — और वह (And he/it)
🕌 हसीरुन — थका हुआ (Weary / Exhausted)

📖 मुकम्मल तर्जुमा:
“फिर दो बार अपनी नज़र लौटाओ, तेरी नज़र तेरी तरफ ज़लील और थकी हुई लौटेगी।”

📘 वज़ाहत:
🔹 अल्लाह का एक और चैलेंज: अल्लाह इंसान को दावत देते हैं कि मज़ीद गौर करे, मज़ीद देखे। पहले (आयत 3) में कहा गया कि कायनात में कोई नुक़्स नहीं, अब दोबारा देखने का हुक्म दिया जा रहा है।
🔹 नतीजा: जितना ज़ियादा कोई नुक़्स तलाश करने की कोशिश करेगा, उतना ही मायूस और आजिज़ हो जाएगा। यह अल्लाह की तख्लीक की बे-मिसाल अज़मत का एलान है।

🌌 रूहानी बसीरत:
❓ क्या हम कायनात की मुकम्मल हम आहंगी को देख रहे हैं?
❓ क्या हम अल्लाह की हिकमत के सामने आजिज़ी इख्तियार कर रहे हैं?
❓ क्या हम अपनी महदूद अक्ल के बावजूद इसकी लामहदूद ताकत पर भरोसा कर रहे हैं?

🧠 ज़ाती गौर व फिक्र:
हर नाकाम कोशिश हमें यह समझने में मदद देती है कि हम कितने महदूद हैं और अल्लाह कितने अज़ीम हैं। यह हमें अल्लाह की हिकमत पर एतिमाद, आजिज़ी, और मुकम्मल सुपुर्दगी की दावत देता है।

🤲 अमली कदम:
💙 “नुक़्स तलाश करने के बजाए, हमें अपने दिल को इसके शुक्र और इबादत में मशगूल करना चाहिए।”
💙 “अल्लाह की तख्लीक की कामिल हम आहंगी हमें याद दिलाती है कि हमारी ज़िंदगी में भी इसकी हिकमत मुकम्मल है—चाहे वह आज़माइशें हों, तक़दीर हो, या ज़िंदगी की राहें।”

🌙 सूरह अल-मुल्क (67) — आयत 5

🕋 अरबी मतन:
وَلَقَدْ زَيَّنَّا ٱلسَّمَآءَ ٱلدُّنْيَا بِمَصَٰبِيحَ وَجَعَلْنَـٰهَا رُجُومًۭا لِّلشَّيَـٰطِينِ ۖ وَأَعْتَدْنَا لَهُمْ عَذَابَ ٱلسَّعِيرِ

📖 तर्जुमा (रोमन उर्दू ट्रांसलिटरेशन):
Wa laqad zayyannā as-samā’ad-dunyā bimaṣābīḥa wa jaʿalnāhā rujūmal-lish-shayāṭīn, wa aʿtadnā lahum ʿadhābas-saʿīr

📘 लफ्ज़ बा लफ्ज़ मानी:
🕌 व लक़द — और बेशक (And indeed)
🕌 ज़य्यन्ना — हमने मज़ीन किया (We have adorned)
🕌 अस-समाअद-दुन्या — क़रीबी आसमान (The nearest heaven)
🕌 बिमसाबीह — चिरागों (सितारों) से (With lamps/stars)
🕌 व जअलनाहा — और हमने उन्हें बनाया (And We made them)
🕌 रुजूमान — मारने का ज़रिया (Means of pelting)
🕌 लिश-शयातीन — शैतानों के लिए (For the devils)
🕌 व अअतदना — और हमने तैयार किया (And We have prepared)
🕌 लहुम — उनके लिए (For them)
🕌 अज़ाब अस-सईर — दहकते अज़ाब (The punishment of the Blaze)

📖 सादा हिंदी तर्जुमा:
“और बेशक हमने क़रीबी आसमान को चिरागों (सितारों) से आरास्ता किया, और उन्हें शैतानों पर फेंकने का ज़रिया बनाया, और हमने उनके लिए दहकते हुए अज़ाब को तैयार कर रखा है।”

🌌 गौर व फिक्र :
🔹 आसमान की खूबसूरती: अल्लाह बयान फरमाते हैं कि उन्होंने क़रीबी आसमान को न सिर्फ रौशनी बल्कि ज़ीनत के लिए भी सजाया है। सितारे सिर्फ रौशन करने के लिए नहीं बल्कि अल्लाह की अज़मत के निशानात भी हैं।
🔹 सितारों का मुहाफिज़ाना किरदार: “टूटते तारे” या शहाब साकिब उन सरकश जिन्नों और शैतानों के खिलाफ गोला बारूद के तौर पर इस्तेमाल होते हैं, जो गैब की बातें सुनने की कोशिश करते हैं (जैसे सूरह अस-साफ्फात 37:6-10 और सूरह अल-जिन्न 72:8-9 में वज़ाहत की गई है)।
🔹 कायनाती तरतीब और अखलाकी सबक: यह ज़ाहिर करता है कि कायनात भी हक़ व बातिल की जंग का एक मैदान है, और हर चीज़ अल्लाह के हुक्म के मुताबिक चलती है। यह साबित करता है कि कायनात बे-तरतीब नहीं बल्कि एक मुंतज़म और महफूज़ निज़ाम है।
🔹 सजा की तैयारी: अल्लाह की इंसाफ पसंदी इस बात में ज़ाहिर होती है कि जहन्नम में शैतानों और सरकश लोगों के लिए सजा तैयार है। यह न सिर्फ गैबी दुनिया के बिगड़े हुए अनासिर के लिए एक वॉर्निंग है बल्कि इंसानों के लिए भी एक तंबीह है।

🕊 रूहानी गौर व फिक्र:
हर रात जब हम सितारों की तरफ देखते हैं, हम सिर्फ दूर-दराज़ रौशनी के ज़राए नहीं देख रहे, बल्कि अल्लाह की अज़मत, हिफाज़त और याद दिलाने वाली चीज़ें देख रहे होते हैं। जैसे सितारे शैतानी ताकतों को ऊपर से दूर रखते हैं, हमें अपने दिल को रौशनी, याद-ए-इलाही और ईमान से भर देना चाहिए ताकि हम अंदरूनी तारीकी को भी दूर कर सकें।

💭 “या अल्लाह! तू ने आसमानों को खूबसूरत सितारों से सजाया और शैतानों को रोकने का ज़रिया बनाया। मेरे दिल को भी अपनी याद से रौशन कर दे और मुझे बुराई के असरात से महफूज़ रख।”

🌙 सूरह अल-मुल्क — आयत 6

🕋 अरबी मतन:
وَلِلَّذِينَ كَفَرُوا۟ بِرَبِّهِمْ عَذَابُ جَهَنَّمَ ۖ وَبِئْسَ ٱلْمَصِيرُ

📖 तर्जुमा (रोमन उर्दू ट्रांसलिटरेशन):
Wa lilladhīna kafarū birabbihim ʿadhābu jahannam, wa bi’sa al-maṣīr

📘 लफ्ज़ बा लफ्ज़ मानी:
🕌 व लिल्लज़ीना — और उन लोगों के लिए (And for those who)
🕌 कफरू — जिन्होंने इंकार किया (Disbelieved)
🕌 बिरब्बिहिम — अपने रब का (In their Lord)
🕌 अज़ाबु — अज़ाब (Punishment)
🕌 जहन्नम — जहन्नम (Of Hell)
🕌 व बिअस — और बहुत बुरा है (And wretched is)
🕌 अल-मसीर — अंजाम / ठिकाना (The destination)

📖 सादा हिंदी तर्जुमा:
“और जिन्होंने अपने रब का इंकार किया, उनके लिए जहन्नम का अज़ाब है, और वह बहुत ही बुरा ठिकाना है।”

🌌 वज़ाहत और गौर व फिक्र:
🔹 “व लिल्लज़ीना कफरू”: यह आयत ज़ोर दे कर उन लोगों का ज़िक्र करती है जो अल्लाह के वुजूद को नज़रअंदाज़ करते हैं या गफलत में ज़िंदगी गुज़ारते हैं। यह न सिर्फ इंकार करने वालों बल्कि उन लोगों को भी शामिल करती है जो अल्लाह की निशानियों को नज़रअंदाज़ करते हैं।
🔹 “बिरब्बिहिम” — “अपने रब का”: यह जुमला ज़ाती ताल्लुक की तरफ इशारा करता है, यानी इंकार के बावजूद अल्लाह उनका रब है। लेकिन वे खुद ही अल्लाह की रहमत और हिदायत से दूर हो गए हैं।
🔹 “अज़ाबु जहन्नम”: यह बयान निहायत हकीकत पर मुबनी है, किसी मुबालगा आराई के बगैर, ताकि यह दिल को झंझोड़ दे।
🔹 “व बिअस अल-मसीर”: यह अल्फाज़ हर एक को दावत देते हैं कि वह सोचे: “क्या मैं भी इसी अंजाम की तरफ जा रहा हूँ?”

🕊 रूहानी गौर व फिक्र:
यह आयत महज़ धमकी नहीं बल्कि एक तंबीह है जो इंसान को बेदार करती है।
💙 “तुम्हें जहन्नम के लिए नहीं, जन्नत के लिए पैदा किया गया था—वापस पलट आओ, जब तक देर न हो जाए।”

✨ अल्लाह की मुहब्बत देखें, जो हमें कुरआन में यह तंबीह देता है, ताकि कोई यह न कहे कि ‘मुझे मालूम न था’।

🌙 सूरह अल-मुल्क — आयत 7

🕋 अरबी मतन:
إِذَآ أُلْقُوا۟ فِيهَا سَمِعُوا۟ لَهَا شَهِيقًۭا وَهِىَ تَفُورُ

📖 तर्जुमा (रोमन उर्दू ट्रांसलिटरेशन):
Idhā ulqū fīhā samiʿū lahā shahiqan wa hiya tafūr

📘 लफ्ज़ बा लफ्ज़ मानी:
🕌 इज़ा — जब (When)
🕌 उल्क़ू — उन्हें फेंका जाएगा (They are thrown)
🕌 फीहा — उस में (Into it – Hell)
🕌 समिऊ — वे सुनेंगे (They will hear)
🕌 लहा — उस की तरफ से (From it)
🕌 शहीक़न — खौफनाक चीख / साँस की आवाज़ (A terrible inhaling sound)
🕌 वहिया — जबकि वह (While it is)
🕌 तफूरु — खौल रही होगी / भड़क रही होगी (Boiling / Blazing)

🌍 सादा हिंदी तर्जुमा:
“जब उन्हें (नाफरमानों को) उस (जहन्नम) में डाला जाएगा, तो वे उससे एक होलनाक चीखने की आवाज़ सुनेंगे, जबकि वह भड़क रही होगी।”

🧠गौर व फिक्र:
🔹 “इज़ा उल्क़ू फीहा” — “जब उन्हें उस में फेंका जाएगा”: यह किसी नरम और आहिस्ता ज़वाल का मंज़र नहीं बल्कि शदीद अज़ियत और खौफनाक अंजाम की तस्वीर कशी है।
🔹 “समिऊ लहा शहीक़न” — “वे उससे खौफनाक चीखने की आवाज़ सुनेंगे”: जहन्नम साँस ले रही होगी जैसे कोई दरिंदा अपने शिकार को निगलने की तैयारी कर रहा हो। यह महज़ एक तसव्वुरी मंज़र नहीं बल्कि हकीकत है जो दिल को दहला देती है।
🔹 “वहिया तफूरु” — “जबकि वह भड़क रही होगी”: यह आग खामोश नहीं बल्कि गज़बनाक, अबलती और भड़कती हुई होगी। जहन्नम की आग गुनहगारों की मौजूदगी पर रददमल देती है, जैसे कि वह उनको सजा देने के लिए बेताब हो।

🔥 जहन्नम की आवाज़ सिर्फ खौफनाक ही नहीं, बल्कि वह गज़ब और इंतिकाम से भरपूर होगी।

💫 रूहानी गौर व फिक्र:
🌷 ऐ दिल, यह आयत हमें एक अनदेखे लम्हे की झलक देती है, एक आवाज़ जो कभी नहीं सुनी गई, फिर भी इसकी गूंज रूह में महसूस होती है।

सोचें: जहन्नम की साँस की आवाज़ लरज़ा तारी कर देती है, इसकी गरज पूरी कायनात को हिला देती है। मगर अल्लाह ने यह मंज़र इतने वाज़eh अंदाज़ में क्यों बयान किया?

🔹 क्योंकि रहमत तंबीह में पोशीदा है।
🔹 अल्लाह हमें इस आग के बेदार होने से पहले जगा देना चाहते हैं, ताकि हम बच सकें।
🔹 यह आयत हमारे दिलों को सख्त करने के लिए नहीं, बल्कि नरम करने के लिए है।
🔹 यह हमें इताअत की राह पर लाने के लिए है, ताकि हमारी इबादत इख्लास से भरपूर हो।

🌹 कुरआन खौफ पैदा करने के लिए नहीं, बल्कि नजात देने के लिए आया है।

🌌 सूरह अल-मुल्क — आयत 8

🕋 अरबी मतन:
تَكَادُ تَمَيَّزُ مِنَ ٱلْغَيْظِ ۖ كُلَّمَآ أُلْقِىَ فِيهَا فَوْجٌۭ سَأَلَهُمْ خَزَنَتُهَآ أَلَمْ يَأْتِكُمْ نَذِيرٌۭ

📖 तर्जुमा (रोमन उर्दू ट्रांसलिटरेशन):
Takādu tamayyazu minal-ghayẓ. Kullamā ulqiya fīhā fawjun sa’alahum khazanatuhā: ‘A lam ya’tikum nadhīr?’

📘 लफ्ज़ बा लफ्ज़ मानी:
🕌 तकादु — करीब है कि (It almost)
🕌 तमय्यज़ु — फट पड़ जाए / टुकड़े हो जाए (Bursts apart)
🕌 मिनल-गैज़ — गुस्से से (From rage)
🕌 कुल्लमा — जब भी (Every time)
🕌 उल्क़िया — फेंका जाएगा (Is thrown)
🕌 फीहा — उस में (Into it – Hell)
🕌 फौजन — एक गुरोह (A group)
🕌 सअलहुम — उनसे पूछेंगे (They will be asked)
🕌 खज़नतुहा — इसके दारोग़ा (Its keepers / guardians)
🕌 अलम यातिकुम — क्या तुम्हारे पास नहीं आया? (Did no one come to you?)
🕌 नज़ीरुन — कोई डराने वाला (A warner)

🌍 सादा हिंदी तर्जुमा:
“वह (जहन्नम) गुस्से से फट पड़ने को है। जब कभी उसमें कोई गुरोह डाला जाएगा, तो इसके दारोग़ा (फरिश्ते) उनसे पूछेंगे: ‘क्या तुम्हारे पास कोई डराने वाला नहीं आया था?’”

🧠 गौर व फिक्र:
🔹 “तकादु तमय्यज़ु मिनल-गैज़” — “वह गुस्से से फटने को है”: यह बयान जहन्नम की शिद्दत को ज़ाहिर करता है। 🔥 यह महज़ एक सज़ाई जगह नहीं, बल्कि एक ज़िंदा हकीकत है, जो नाफरमानी और गुनाह पर सख्त रददमल देती है।
🔹 “कुल्लमा उल्क़िया फीहा फौजन” — “जब कभी उसमें कोई गुरोह डाला जाएगा”: यह इन्फिरादी सजा नहीं, बल्कि इज्तिमाई है। 🔸 वे लोग जो हक़ को ठुकरा कर गुमराही को अपनाए रहे, उन्हें गुरोहों की सूरत में जहन्नम में डाला जाएगा।
🔹 “सअलहुम खज़नतुहा” — “जहन्नम के फरिश्ते उनसे सवाल करेंगे”: यह हकीकी अफसोसनाक लम्हा होगा—न कोई हुज्जत, न कोई फरार। यह सवाल यकीन दिहानी नहीं, बल्कि एक अज़ाब के साथ याद दिहानी है। 🔸 “क्या तुम्हें कोई खबरदार करने वाला नहीं आया था?”

💫 रूहानी गौर व फिक्र:
🌿 ऐ हक़ की तलाश में सरगर्दां रूह, यह आयत दिल पर बिजली की तरह असर करती है।

👉 जहन्नम का गुस्सा वाज़eh है, मगर फरिश्ते सिर्फ एक सवाल करते हैं: “क्या कोई खबरदार करने वाला नहीं आया था?”

हाँ—अल्लाह ने बेशुमार तंबीहात भेजीं, और कुरआन सबसे आला तरीन तंबीह है। यही पैगाम जो आप अभी पढ़ रहे हैं—यह भी एक नरम याद दिहानी है, जहन्नम की सख्त हकीकत से पहले।

🌹 यह आयत सिर्फ खौफ पैदा करने के लिए नहीं, बल्कि बेदारी के लिए है। हमारे, अज़ीज़ दिल, हिदायत की रौशनी से नवाज़े गए हैं। अब यह हम पर मुनहसिर है कि हम इसे कबूल करें।

💭 सोचें:
क्या मैंने अपनी तंबीहात को संजीदगी से लिया है?
अगर मैं अल्लाह के सामने खड़ा हूँ, तो मेरे पास क्या बहाने होंगे?
मैं आज कैसे रहमत की तरफ लौट सकता हूँ?
🔥 जहन्नम गुस्से से फटने को है। मगर दिल ईमान से पिघल सकता है।

🌿 सूरह अल-मुल्क – आयत 9

🕋 अरबी मतन:
قَالُوا۟ بَلَىٰ قَدْ جَآءَنَا نَذِيرٌۭ فَكَذَّبْنَا وَقُلْنَا مَا نَزَّلَ ٱللَّهُ مِن شَىْءٍ إِنْ أَنتُمْ إِلَّا فِى ضَلَـٰلٍۢ كَبِيرٍۢ

📖 तर्जुमा (रोमन उर्दू ट्रांसलिटरेशन):
Qālū balā qad jā’anā nadhīr, fa-kadh-dhabnā, wa-qul’nā mā nazzalallāhu min shay’; in antum illā fī ḍalālin kabīr.

📘 लफ्ज़ बा लफ्ज़ मानी:
🕌 कालू — वे कहेंगे (They will say)
🕌 बला — क्यों नहीं (Yes, certainly)
🕌 कद — वाकई (Indeed)
🕌 जाअना — हमारे पास आया (Came to us)
🕌 नज़ीरुन — एक डराने वाला (A warner)
🕌 फ-कज़्ज़बना — मगर हमने झुटला दिया (But we denied)
🕌 व कुलना — और हमने कहा (And we said)
🕌 मा नज़्ज़लल्लाहु — अल्लाह ने कुछ नाज़िल नहीं किया (Allah has not revealed anything)
🕌 मिन शयइन — किसी चीज़ को (Anything)
🕌 इन अंतुम — तुम तो बस (You are but)
🕌 इल्ला — नहीं मगर (Except)
🕌 फी दालालिन — गुमराही में (In error/misguidance)
🕌 कबीरिन — बहुत बड़ी (Great)

🌸 सादा हिंदी तर्जुमा:
“वे कहेंगे: ‘क्यों नहीं, एक डराने वाला हमारे पास आया था, मगर हमने उसे झुटला दिया और कहा कि अल्लाह ने तो कुछ भी नाज़िल नहीं किया। तुम तो बड़ी गुमराही में हो।’”

📖 गौर व फिक्र :
💔 पछतावे का इक़रार: यह काफिरों की अफसोसनाक कबूलियत है, जब वे जहन्नम में दाखिल हो चुके होंगे। आयत 8 में उनसे पूछा गया कि क्यों वे यहाँ पहुंचे, और अब वे मान रहे हैं कि हाँ, एक खबरदार करने वाला आया था, मगर उन्होंने तकब्बुर के साथ उसे झुटला दिया।
🧠 वह्य का इंकार: ये लोग महज़ नबी को नहीं बल्कि अल्लाह की तरफ से आने वाली हर हिदायत को रद कर रहे थे, यह कहते हुए कि “अल्लाह ने कुछ भी नाज़िल नहीं किया।”
🔥 हक़ को गुमराही करार देना: उन्होंने सिर्फ इंकार नहीं किया, बल्कि हक़ को गलत कह कर मोमिनीन को गुमराह तसव्वुर किया।
💬 ज़बरदस्त सबक: बहुत बार लोग हक़ सुनते हैं मगर उनका तकब्बुर, अना, या मुआशरती दबाव उन्हें सच्चाई को मानने से रोक देता है। यह आयत हम सब के लिए आइना है—जब हमें हक़ की दावत दी जाए, तो हमारी क्या रददमल होती है?

🕊 अमली इक़दाम:
💡 खुद से सवाल करें: जब मुझे हक़ की तरफ बुलाया जाता है, तो क्या मैं आजिज़ी से कबूल करता हूँ या मुखालिफत करता हूँ?
📖 हमें कुरआन और हदीस की कद्र करनी चाहिए—वही हिदायत, जिसे रद करने वाले अब पछता रहे हैं।
🧎 अल्लाह का शुक्र अदा करें कि उसने हमें रहनुमाई दी, और दुआ करें कि हम हमेशा सीधे रास्ते पर रहें।

🔟 सूरह अल-मुल्क – आयत 10

🕋 अरबी मतन:
وَقَالُوا لَوْ كُنَّا نَسْمَعُ أَوْ نَعْقِلُ مَا كُنَّا فِىٓ أَصْحَـٰبِ ٱلسَّعِيرِ

🔤 तर्जुमा (रोमन उर्दू ट्रांसलिटरेशन):
Wa qālū law kunnā nasmaʿu aw naʿqilu mā kunnā fī aṣḥābi as-saʿīr

📘 लफ्ज़ बा लफ्ज़ मानी:
🕌 व कालू — और वे कहेंगे (And they will say)
🕌 लौ — काश (If)
🕌 कुन्ना — हम होते (We had been)
🕌 नस्मउ — सुनते (Listening)
🕌 अव — या (Or)
🕌 नअक़िलु — समझते (Understanding)
🕌 मा — (तो) नहीं (Then not)
🕌 कुन्ना — हम न होते (We would not have been)
🕌 फी — में (In)
🕌 असहाबि — साथी (Companions)
🕌 अस-सईर — दहकती हुई आग (Of the blazing fire – Hellfire)

📖 सादा हिंदी तर्जुमा:
“और वे कहेंगे: ‘काश! हम सुनते या समझते, तो हम जहन्नम वालों में न होते।’”

🌺 गौर व फिक्र :
🔹 अफसोसनाक इक़रार: यह आयत दोज़खियों के शदीद पछतावे को ज़ाहिर करती है—उनका अफसोस सिर्फ इस बात पर नहीं कि उन्होंने ईमान नहीं लाया, बल्कि इस बात पर है कि उन्होंने अल्लाह की अता की हुई दो अज़ीम सलाहियतों को सही इस्तेमाल नहीं किया।
🧠 अक्ल (समझने की सलाहियत): अल्लाह ने इंसान को सोचने, गौर करने और हक़ को पहचानने की ताकत दी। मगर वे इसे इस्तेमाल करने में नाकाम रहे।
👂 समाअत (सुनने की सलाहियत): अल्लाह ने इंसान को हिदायत सुनने, नसीहत कबूल करने और हक़ की तरफ मुतवज्जे होने का मौका दिया। मगर वे हक़ सुन कर भी उसे नज़रअंदाज़ करते रहे।
💔 उनका इक़रार: “हम यह सब कर सकते थे… मगर हमने जान बूझ कर गफलत बरती।”
🔥 यह एक उमूमी तंबीह है—जहन्नम में वे लोग भी जाएंगे जो महज़ लाइल्म नहीं थे, बल्कि वे भी जो इल्म रखते हुए इसकी कद्र न कर सके।

🌿 अमली कदम:
💭 सोचें: जब मैं कुरआन सुनता हूँ, क्या मैं धियान देता हूँ?
🧠 “महज़ ज़बान से नहीं, बल्कि दिल से समझने की कोशिश करें।”
📖 रोज़ाना एक आयत पर गौर करें, सच्चे दिल और मुहब्बत से।


🌸 सूरह अल-मुल्क — आयत 11 🌸

فَٱعْتَرَفُوا۟ بِذَنۢبِهِمْ ۖ فَسُحْقًۭا لِّأَصْحَـٰبِ ٱلسَّعِيرِ

📖 हिंदी तर्जुमा (उर्दू अल्फ़ाज़ के साथ):

तो उन्होंने अपने ज़ुन्ह (गुनाह) का ए’तिराफ़ (स्वीकार) कर लिया, तब कहा जाएगा: हलाकत (बर्बादी) हो जाये उन लोगों के लिए जो अस्हाब-ए-सईर (भड़कती आग वाले) हैं।


🧾 शब्द दर शब्द तर्जुमा:

अरबी लफ़्ज़हिंदी अर्थ (उर्दू लहजे में)
فَٱعْتَرَفُواतो उन्होंने ए’तिराफ़ किया (स्वीकार किया)
بِذَنۢبِهِمْअपने ज़ुन्ह (गुनाह) का
فَسُحْقًۭاतो हलाकत हो, बर्बादी हो
لِّأَصْحَـٰبِसाथियों के लिए
ٱلسَّعِيرِसईर (भड़कती हुई जहन्नुम की आग)

🔍 सारांश (Reflection & Wisdom):

  • “फ-अ’तरफ़ू बि-ज़ुन्हिहिम” — यह वो मुकाम है जब इनसान आखिरत में अपने गुनाहों को खुद मान लेगा। मगर यह ए’तिराफ़ (स्वीकार) उस वक़्त होगा जब तौबा का दरवाज़ा बंद हो चुका होगा
  • “फ-सुह्क़न् लि-अस्हाब-इ सईर” — यह अल्लाह की तरफ से लानत और धिक्कार का अल्फ़ाज़ है। यह दूर कर दिया जाना है अल्लाह की रहमत से, कि:
    “अब तुम मेरे रहमत से बहुत दूर हो जाओ!”
  • “अस्हाब-ए-सईर” — यह वो लोग हैं जो जहन्नुम की भड़कती आग में डाल दिए जाएंगे। क्योंकि उन्होंने दुनिया में हक़ (सच्चाई) को झुठलाया, और तौबा नहीं की।

🕊 दिल से तअम्मुल (चिंतन):

🔹 क्या मैं आज ही अपने गुनाहों को तस्लीम (स्वीकार) करने को तैयार हूँ?
🔹 क्या मैं अब भी रहमत-ए-इलाही की तरफ लौट सकता हूँ?

🍃 बेशक!
अल्लाह फ़रमाते हैं:

“ऐ मेरे बन्दों जिन्होंने अपने नफ़्सों पर ज़ुल्म किया है! अल्लाह की रहमत से मायूस मत हो, अल्लाह तमाम गुनाहों को माफ कर देता है।”
(सूरह अज़-ज़ुमर: आयत 53)


📖 सूरह अल-मुल्क — आयत 12

إِنَّ ٱلَّذِينَ يَخْشَوْنَ رَبَّهُم بِٱلْغَيْبِ لَهُم مَّغْفِرَةٌۭ وَأَجْرٌۭ كَبِيرٌۭ
Inna alladhīna yakhshawna rabbahum bil-ghaybi lahum maghfiratun wa ajrun kabīr


🔹 शब्द दर शब्द तालिका (Hindi Script with Urdu words)

अरबी लफ़्ज़अर्थ (हिन्दी)उर्दू मानी (हिन्दी लिपि में)
إِنَّनिःसंदेह / यकीननबेशक
ٱلَّذِينَवे लोग जोवो लोग जो
يَخْشَوْنَडरते हैंडरते हैं
رَبَّهُمअपने रब सेअपने रब से
بِٱلْغَيْبِग़ैब में / बिना देखेग़ैब में
لَهُمउनके लिएउनके लिए
مَّغْفِرَةٌۭमाफ़ी / क्षमाबख़्शिश
وَأَجْرٌۭऔर इनामऔर अजर
كَبِيرٌۭबड़ा / महानबड़ा

🌸 हिन्दी तर्जुमा

बेशक वो लोग जो अपने रब से ग़ैब में डरते हैं, उनके लिए बख़्शिश और बड़ा अजर है।


रुहानी तअम्मुल

  • “ग़ैब में डरते हैं…” — यानी वो लोग जो अल्लाह को बिना देखे मानते हैं, उसकी बंदगी करते हैं, और उसके डर से गुनाह से रुकते हैं।
  • यह डर खौफ़ नहीं बल्कि तअज़ीम, मोहब्बत और अदब से भरा हुआ होता है।

🌿 दिल की सदा:
❓ क्या हम ऐसे अल्लाह के बंदे हैं जो ग़ैब में भी उसी तरह डरते हैं जैसे सामने होता?

🕊 कुर्बत की राह:
जो लोग ग़ैब में अल्लाह से डरते हैं, अल्लाह उन्हें ग़लतियों के बावजूद माफ़ करता है और बहुत बड़ा इनाम देता है।


📖 सूरह अल-मुल्क — आयत 13

وَأَسِرُّوا۟ قَوْلَكُمْ أَوِ ٱجْهَرُوا۟ بِهِۦٓ ۖ إِنَّهُۥ عَلِيمٌۢ بِذَاتِ ٱلصُّدُورِ
Wa-asirrū qawlakum awi-jharū bih, innahu ʿalīmun bi-dhātiṣ-ṣudūr


🔹 शब्द-दर-शब्द तालिका

अरबी शब्दअंग्रेज़ी अर्थहिंदी (उर्दू शब्दों सहित)
وَأَسِرُّوا۟And keep secretऔर छुपा कर कहो
قَوْلَكُمْYour speechतुम्हारी बात
أَوِOrया
ٱجْهَرُوا۟Speak it aloudज़ोर से कहो / ऊँची आवाज़ में
بِهِۦٓAbout it / Regarding itउसके बारे में
إِنَّهُۥIndeed, Heबेशक वो
عَلِيمٌۢis All-Knowingख़ूब जानने वाला है
بِذَاتِof the innermostदिलों की गहराईयों का
ٱلصُّدُورِof the chests (hearts)सीनों का / दिलों का

🔹 हिंदी तर्जुमा

तुम चाहे अपनी बात छुपा कर कहो या ज़ोर से, बेशक अल्लाह सीनों के राज़ों को भी ख़ूब जानता है।


चिंतन और सारांश

🌟 “तुम चाहे अपनी बात छुपाओ या ज़ोर से कहो…”
– इसका मतलब है कि अल्लाह के लिए तुम्हारी बातों का अंदाज़ कोई मायने नहीं रखता — वो हर हाल में जानता है।

🌿 “बेशक वो सीनों के राज़ जानने वाला है…”
– अल्लाह वो है जो हमारे दिलों के छुपे हुए ख्यालात और नियतों को भी जानता है, जिन्हें हम खुद भी कभी ज़ाहिर नहीं करते।

🕊 आध्यात्मिक दृष्टिकोण
– यह आयत हमें नियत की पवित्रता और अल्लाह की सर्वज्ञता की याद दिलाती है। वो सिर्फ़ हमारे कर्म नहीं, हमारे इरादों और जज़्बातों को भी देखता है।


🌙 आयत 14 — सूरह अल-मुल्क

لَا يَعْلَمُ مَنْ خَلَقَ ۖ وَهُوَ ٱللَّطِيفُ ٱلْخَبِيرُ

📖 सरल हिंदी अनुवाद

“क्या वह (ज़ात) जो पैदा करता है, वह नहीं जानता? जब कि वह बहुत महीन (लतीफ़) समझ रखने वाला और खूब खबर रखने वाला (ख़बी़र) है।”


🧠 शब्द दर शब्द सरल अर्थ

अरबी लफ़्ज़हिंदी मतलब (उर्दू शब्दों के साथ)
أَلَاक्या नहीं? / सुन लो
يَعْلَمُजानता है
مَنْवह जो
خَلَقَपैदा किया
وَهُوَऔर वह
ٱللَّطِيفُबहुत महीन समझ रखने वाला, नरम मिज़ाज
ٱلْخَبِيرُहर बात से वाक़िफ़, जानकार

🌿 रूहानी तअस्सुर (Spiritual Reflection)

🔸 यह आयत एक सवाल है — लेकिन उसमें गहराई से यक़ीन और इंतिबाह (चेतावनी) छिपी हुई है।
🔹 “क्या जो तुम्हें पैदा करता है, वो तुम्हें नहीं जानता?”
🕊️ उसका इल्म इतना महीन है कि हमारी छुपी बातों, नीयतों और जज़्बातों को भी समझता है।

सबक़:

  • अल्लाह हर हाल में जानता है, इसलिए हमें अपनी सोच, नीयत और अमल में सच्चाई और सफाई रखनी चाहिए।
  • वह लतीफ़ है — नर्म और रहम वाला — इसलिए तौबा के लिए दरवाज़ा हमेशा खुला है।


🌿 आयत 15 — सूरह अल-मुल्क

Arabic (with Transliteration):

هُوَ ٱلَّذِى جَعَلَ لَكُمُ ٱلْأَرْضَ ذَلُولًۭا فَٱمْشُوا۟ فِى مَنَاكِبِهَا وَكُلُوا۟ مِن رِّزْقِهِ ۖ وَإِلَيْهِ ٱلنُّشُورُ
Huwa alladhī jaʿala lakumu al-arḍa dhalūlan fa-mshū fī manākibihā wa-kulū min rizqih, wa ilayhi an-nushūr


🪔 आसान हिंदी तर्जुमा

वही (अल्लाह) है जिसने तुम्हारे लिए ज़मीन को आज़माइश और सहूलत वाला बना दिया, तो तुम उसके रास्तों में चलो, और अल्लाह के दिये हुए रिज़्क़ को खाओ — और उसी की तरफ़ तुमको लौटकर जाना है (क़यामत के दिन)।


🌼 सरल समझ:

  • ज़मीन — अल्लाह ने तुम्हारे लिए आसान और क़ाबू में बना दी, ताकि तुम इसमें रह सको, चल सको, मेहनत करके रोज़ी कमा सको।
  • चलो उसके रास्तों में — मेहनत और हलाल रोज़ी की तरज़ीह दो।
  • उसका रिज़्क़ खाओ — जो कुछ तुम्हें मिलता है, वह अल्लाह की तरफ़ से है।
  • और आख़िर में उसी के पास लौटना है — यानी एक दिन क़यामत आएगी, और सबको हिसाब देना होगा।

🌟 सबक़:

  • यह आयत हमें मेहनत, शुक्र और आख़िरत की याद दिलाती है।
  • हम ज़िन्दगी को एक सफ़र समझें — और उस सफ़र का मक़सद अल्लाह की रज़ा और वापसी की तैयारी हो।

🌿 आयत 16 — सूरह अल-मुल्क (67:16)

🔸 अरबी पाठ + Transliteration:

ءَأَمِنتُم مَّن فِى ٱلسَّمَآءِ أَن يَخْسِفَ بِكُمُ ٱلْأَرْضَ فَإِذَا هِىَ تَمُورُ
’Amintum man fī as-samā’i an yakhsifa bikumu al-arḍa fa’idhā hiya tamūr


🔹 Word-by-Word Table:

आयत 16 — शब्द-दर-शब्द तालिका


Ayah 16: Arabic

ءَأَمِنتُم مَّن فِى ٱلسَّمَآءِ أَن يَخْسِفَ بِكُمُ ٱلْأَرْضَ فَإِذَا هِىَ تَمُورُ


Hindi Word-by-Word Table

अरबी शब्द (Arabic Word)हिंदी अर्थ (Hindi Meaning)उर्दू मतलब (Urdu Meaning)
ءَأَمِنتُمक्या तुम सुरक्षित हो?کیا تم محفوظ ہو؟
مَّنवह ज़ात जिसे / जोوہ ذات جو
فِىमेंمیں
ٱلسَّمَآءِआकाश / आसमानآسمان
أَنकिکہ
يَخْسِفَ(ज़मीन को) दबा दे / गिरा देزمین کو دھنستا ہے
بِكُمُतुम्हारे साथتمہارے ساتھ
ٱلْأَرْضَज़मीनزمین
فَإِذَاतो / फिरپھر
هِىَवहوہ
تَمُورُहिलती है / हिलने लगती हैہلتی ہے


🔹 आसान हिंदी अनुवाद:

क्या तुम उस ज़ात से बेख़ौफ़ हो गए हो जो आसमान में है, कि वह ज़मीन को तुम्हारे साथ न धँसा दे? फिर वह ज़मीन हिलने लगे।


व्याख्या एवं आत्मचिंतन:

  • यह आयत हमें अल्लाह की कृपा और उसकी ताकत की याद दिलाती है, जो हर चीज़ पर नज़र रखता है।
  • ज़मीन जो हमारे रहने का ठिकाना है, वह भी अल्लाह के इशारे पर अचानक हिल सकती है या धंस सकती है।
  • क्या हमने कभी सोचा है कि क्या हम इस डर और समझ के साथ जी रहे हैं कि अल्लाह कभी भी सज़ा दे सकता है?
  • यह चेतावनी है कि हम अपने कर्मों पर ध्यान दें और अल्लाह की राह पर चलें।

🌟 आध्यात्मिक संदेश:

🕊 क्या मैं सचमुच अल्लाह की ताकत को समझता हूँ जो हर चीज़ को नियंत्रित करता है?
🍃 क्या मैं अपनी ज़िन्दगी में अल्लाह के भय को दिल में रखता हूँ ताकि गलत रास्ते से बच सकूँ?

“असली अमन और सुकून वही पाता है जो अल्लाह की हुकूमत को स्वीकार करता है।”


🌿 आयत 17 — सूरह अल-मुल्क (67:17)

🔸 अरबी और उच्चारण:

أَمْ أَمِنتُم مَّن فِى ٱلسَّمَآءِ أَن يُرْسِلَ عَلَيْكُمْ حَاصِبًا ۖ فَسَتَعْلَمُونَ كَيْفَ نَذِيرِ
Am amintum man fī as-samā’i an yursila ʿalaykum ḥāṣiban fa-sataʿlamūna kayfa nadhīr


📘 सरल हिंदी अनुवाद:

क्या तुम उस (अल्लाह) से जो आसमान में है, इस बात से निडर हो गए हो कि वह तुम पर पत्थरों की आंधी भेज दे? फिर तुम जान जाओगे कि मेरा डराने (नसीहत करने) का तरीका कैसा था।


📖 शब्द दर शब्द अर्थ (तालिका सहित):

अरबी शब्दसरल हिंदी अर्थउर्दू मतलब
أَمْयाیا
أَمِنتُمक्या तुम सुरक्षित हो गए हो?کیا تم محفوظ سمجھتے ہو؟
مَّنवह (जो)وہ ذات جو
فِىमेंمیں
ٱلسَّمَآءِआसमानآسمان
أَنकिکہ
يُرْسِلَभेज देوہ بھیج دے
عَلَيْكُمْतुम परتم پر
حَاصِبًاपत्थरों वाली आंधीپتھروں والی آندھی
فَسَتَعْلَمُونَफिर तुम जान लोगेپھر تم جان لو گے
كَيْفَकैसाکیسا
نَذِيرِमेरा चेतावनी देनाمیرا انتباہ

🧠 व्याख्या (सरल भाषा में समझाइए):

  1. “क्या तुम सुरक्षित हो?”
    अल्लाह तआला लोगों से सवाल कर रहे हैं कि क्या तुम इतने बेखौफ हो गए हो कि अब यह सोचते हो कि तुम पर कभी कोई सज़ा नहीं आ सकती?
  2. “वह जो आसमान में है…”
    यहां “आसमान में” कहकर अल्लाह की ऊँचाई, इज्ज़त और उसकी हुकूमत की ओर इशारा किया गया है। इसका यह मतलब नहीं कि अल्लाह किसी जगह में बंद है, बल्कि यह उसकी क़ुदरत का बयान है।
  3. “पत्थरों की आंधी भेज दे…”
    जिस तरह पुराने काफिरों पर पत्थरों वाली आंधी आई थी (जैसे क़ौम-ए-लूत पर), क्या तुम पर भी वह नहीं आ सकती? अल्लाह सब कुछ कर सकता है।
  4. “फिर तुम जान लोगे…”
    जब यह आज़ाब आएगा, तो उस वक्त सच्चाई समझ में आएगी। लेकिन तब पछताने से कुछ नहीं होगा। अल्लाह की चेतावनी को समय रहते समझना ही बुद्धिमानी है।

🌟 सीख और सबक़:

  • यह आयत हमें चेतावनी देती है कि अल्लाह की चेतावनी को हल्के में न लें
  • अल्लाह की कुदरत से कोई बच नहीं सकता, अगर वह सज़ा देना चाहे तो किसी को भी रोक नहीं सकता।
  • अगर हमें नेमतें मिल रही हैं तो यह अल्लाह की रहमत है, उसकी मजबूरी नहीं
  • हमें चाहिए कि हम अल्लाह से डरें, तौबा करें, और उसकी नाराज़गी से बचें।

🕊️ दिल पर असर डालने वाले सवाल:

  • क्या मैं अल्लाह की चेतावनी को गंभीरता से लेता हूँ?
  • क्या मैं अपने गुनाहों पर शर्मिंदा हूँ और सुधार की कोशिश करता हूँ?
  • क्या मैंने कभी किसी मुसीबत को अल्लाह की ओर से चेतावनी समझा?

“अल्लाह की चेतावनी उसका ग़ज़ब नहीं, बल्कि रहमत है जो हमें पहले ही जगा रही है।”


🌿 सूरह अल-मुल्क – आयत 18

🔸 अरबी आयत:

وَلَقَدْ كَذَّبَ ٱلَّذِينَ مِن قَبْلِهِمْ فَكَيْفَ كَانَ نَكِيرِ


📘 शब्द दर शब्द तालिका:

अरबी शब्दहिंदी अर्थ (उर्दू शब्दों के साथ)
وَلَقَدْऔर यक़ीनन (और بے شک)
كَذَّبَझुठलाया (جھٹلایا)
ٱلَّذِينَवो लोग जिन्होंने (وہ لوگ جنہوں نے)
مِن قَبْلِهِمْउनसे पहले (ان سے پہلے)
فَكَيْفَतो कैसा (تو کیسا)
كَانَथा (تھا)
نَكِيرِमेरा इंकार / नाराज़गी / सज़ा (میرا انکار / سختی / سزا)

📖 आसान हिंदी तर्जुमा:

“और यक़ीनन, इनसे पहले भी लोगों ने (रसूलों को) झुठलाया था — तो देखो, मेरा इंकार (यानी सज़ा) कैसा था।”


📚 व्याख्या:

  • “इनसे पहले भी लोगों ने झुठलाया…”
    यह बात बताती है कि मक्का के काफ़िर अकेले नहीं हैं जिन्होंने नबी ﷺ को झुठलाया।
    उनसे पहले की कौमें जैसे क़ौम-ए-नूह, आद, समूद, लूत, फिरऔन वगैरह ने भी अल्लाह के पैग़ाम को ना माना।
  • “तो देखो, मेरा इंकार कैसा था…”
    यानी अल्लाह ने जब उन झुठलाने वालों को पकड़ा तो उनकी तबाही ला दी।
    किसी को पानी में डुबोया गया, किसी पर ज़लज़ला आया, और किसी को आसमान से चीख ने तबाह कर दिया।

“नकीर” शब्द अल्लाह की शिद्दत भरी नाराज़गी को दिखाता है, जो कि गुनहगारों को बर्बाद करने वाली सज़ा के रूप में आती है।


🌟 दिल को छूने वाली बात:

यह आयत हमें बताती है कि:

  • अल्लाह तआला तारीख़ (इतिहास) से हमें सबक देना चाहते हैं।
  • अगर हमने भी वही रवैया अपनाया जो पहले लोगों ने अपनाया, तो हमें भी वही अंजाम मिल सकता है।
  • तौबा (पश्चाताप) और ईमान ही हिफ़ाज़त का रास्ता है।

🌿 Surah Al-Mulk – आयत 19

अल-अरबी:

أَوَلَمْ يَرَوْا إِلَى ٱلطَّيْرِ فَوْقَهُمْ صَٰٓفَّٰتٍۢ وَيَقْبِضْنَ ۚ مَا يُمْسِكُهُنَّ إِلَّا ٱلرَّحْمَٰنُ ۚ إِنَّهُۥ بِكُلِّ شَىْءٍۢ بَصِيرٌ


📖 सरल और विस्तृत हिंदी अर्थ:

“क्या उन्होंने (लोगों ने) अपने ऊपर उड़ते हुए पक्षियों को नहीं देखा, जो अपने पंख फैलाए रहते हैं और कभी-कभी उन्हें समेट भी लेते हैं? उन्हें (हवा में) कोई और थामे नहीं रहता सिवाय दयालु (अल्लाह) के। यकीनन, वह हर चीज़ को भली-भाँति देखने वाला है।”


📘 शब्द-दर-शब्द हिंदी तालिका

अरबी शब्दहिंदी अर्थव्याख्या / सरल मतलब
أَوَلَمْक्या नहींताज्जुब और प्रश्न का रूप – “क्या तुमने नहीं देखा?”
يَرَوْاउन्होंने देखादेखना, अवलोकन करना
إِلَى ٱلطَّيْرِपक्षियों की ओरउड़ने वाले परिंदों की तरफ ध्यान देना
فَوْقَهُمْउनके ऊपरआसमान में, सिर के ऊपर
صَٰٓفَّٰتٍۢपंख फैलाए हुएबिना हिलाए उड़ना, ग्लाइड करना
وَيَقْبِضْنَऔर समेटते हैंकभी-कभी पंखों को सिकोड़ना / झटकना
مَا يُمْسِكُهُنَّकोई नहीं थामता उन्हेंउन्हें हवा में स्थिर रखने वाला कोई नहीं
إِلَّا ٱلرَّحْمَٰنُसिवाय रहमान (दयालु अल्लाह) केकेवल अल्लाह ही उन्हें गिरने से बचाता है
إِنَّهُۥनिस्संदेह वहयहाँ “वह” से तात्पर्य अल्लाह से है
بِكُلِّ شَىْءٍۢहर चीज़ कोकोई चीज़ भी उसकी जानकारी से बाहर नहीं
بَصِيرٌपूरी तरह देखने वालाहर बात को गहराई से जानने और देखने वाला

🌈 सरल व्याख्या

🔸 यह आयत हमें अल्लाह की शक्ति और करिश्माई रचना की याद दिलाती है – हम रोज़ पक्षियों को उड़ते हुए देखते हैं, पर क्या हम सोचते हैं कि वे हवा में कैसे टिके रहते हैं?

🔸 वे कभी पंख फैलाते हैं, कभी समेटते हैं, पर फिर भी नहीं गिरते। क्यों? क्योंकि अल्लाह — जो “अर-रहमान” है — उन्हें थामे रहता है। ना कोई तार है, ना कोई सहारा, बस उसका अम्र (हुक्म) है।

🔸 इस उदाहरण के ज़रिए, अल्लाह इंसान को तर्क देता है: “अगर मैं पक्षियों को थाम सकता हूँ, तो तुम्हें क्यों नहीं?”
हर जीव, हर हरकत, उसकी निगाह में है।


💡 सीखने की बात

✅ क्या हम अपने आस-पास की चीज़ों में अल्लाह की निशानियाँ देखते हैं?
✅ क्या हमने कभी महसूस किया कि अल्लाह हर चीज़ को देखता है, और वह ही हमारा सहारा है?


🌟 सूरह अल-मुल्क – आयत 20

अरबी आयत:

أَمَّنْ هَٰذَا ٱلَّذِى هُوَ جُندٌۭ لَّكُمْ يَنصُرُكُم مِّن دُونِ ٱلرَّحْمَـٰنِ ۚ إِنِ ٱلْكَـٰفِرُونَ إِلَّا فِى غُرُورٍۢ


📖 सरल हिंदी अनुवाद:

(सोचो) कौन है ऐसा जो रहमान (अल्लाह) के अलावा तुम्हारा सहायक (फ़ौज) बन सकता है? वास्तव में काफ़िर (इंकार करने वाले) तो सिर्फ़ धोखे में पड़े हुए हैं।


📘 शब्द दर शब्द तालिका:

अरबी शब्दहिंदी अर्थاردو مطلب
أَمَّنْया कौनیا کون ہے؟
هَٰذَا ٱلَّذِىयह व्यक्ति जोیہ شخص جو
هُوَ جُندٌۭ لَّكُمْतुम्हारे लिए सेना हैتمہارا لشکر ہے
يَنصُرُكُمजो तुम्हारी मदद करेगाتمہاری مدد کرے
مِّن دُونِ ٱلرَّحْمَـٰنِरहमान (अल्लाह) के अलावाرحمان کے سوا
إِنِ ٱلْكَـٰفِرُونَनिःसंदेह इनकार करने वालेیقیناً کافر
إِلَّا فِى غُرُورٍۢकेवल भ्रम और धोखे में हैंمحض دھوکے میں ہیں

🧠 सरल तफ्सीर (व्याख्या):

🔹 “या कौन है जो रहमान के अलावा तुम्हारा रक्षक हो सकता है?”
अल्लाह यहाँ इंसान को सोचने के लिए मजबूर करते हैं — कि अगर अल्लाह मदद न करें, तो कौन है जो तुम्हारी सहायता कर सकता है? क्या कोई तुम्हारी रक्षा कर सकता है?

🔹 “रहमान” का नाम इस्तेमाल करके अल्लाह ने याद दिलाया कि वह सबसे ज़्यादा मेहरबान है।
अगर इतना दयालु और शक्तिशाली अल्लाह साथ न हो — तो कोई दूसरा तुम्हारी मदद कर ही नहीं सकता।

🔹 “काफ़िर केवल भ्रम में हैं”
जो लोग अल्लाह पर विश्वास नहीं करते, वे सोचते हैं कि उनकी ताक़त, पैसा, सेना या कोई इंसानी साधन उन्हें बचा सकता है। लेकिन असल में वे सिर्फ एक झूठी उम्मीद और धोखे में पड़े हुए हैं।


🌿 सीख और आत्मचिंतन:

  • इस आयत से हमें ये सीख मिलती है कि सच्चा सहारा सिर्फ अल्लाह है।
  • दुनिया के संसाधन, दोस्त, सेना या दौलत — ये सब सिर्फ बाहरी चीज़ें हैं। मदद अल्लाह की होती है
  • जो अल्लाह को भूल जाते हैं, वे आत्मविश्वास के नाम पर धोखे में रहते हैं।

💭 दिल से सोचने के सवाल:

  1. 🤲 क्या मैंने अपने जीवन की सुरक्षा और मदद का भरोसा अल्लाह पर रखा है?
  2. 🛡️ क्या मैं किसी और को अल्लाह की तरह ताक़तवर मानकर भरोसा करता हूँ?
  3. 🌙 क्या मैं किसी भ्रम या घमंड में तो नहीं जी रहा हूँ?


🌸 Surah Al-Mulk – Ayah 21 (हिंदी में विस्तृत अर्थ)

أَمَّنْ هَٰذَا ٱلَّذِى يَرْزُقُكُمْ إِنْ أَمْسَكَ رِزْقَهُۥ ۚ بَل لَّجُّوا۟ فِى عُتُوٍّۢ وَنُفُورٍۢ

🟢 हिंदी सरल अनुवाद:

“तो बताओ, यह कौन है (तुम्हारे पूज्य) जो तुम्हें रोज़ी दे सकते हैं अगर वह (अल्लाह) अपनी रोज़ी रोक ले? नहीं, बल्कि ये लोग तो घमंड और सच्चाई से नफ़रत में अड़े हुए हैं।”


📘 शब्दार्थ तालिका:

अरबी शब्दहिंदी अर्थاردو مطلب
أَمَّنْतो कौन है?تو کون ہے؟
هَٰذَاयहیہ
ٱلَّذِىजोجو
يَرْزُقُكُمْतुम्हें रोज़ी देता हैتمہیں رزق دیتا ہے
إِنْअगरاگر
أَمْسَكَरोक लेروک لے
رِزْقَهُۥअपनी रोज़ीاپنا رزق
بَلْबल्किبلکہ
لَّجُّوا۟अड़े रहेضد پر جمے رہے
فِىमेंمیں
عُتُوٍّۢघमंडسرکشی
وَنُفُورٍۢनफ़रत / दूर भागनाبے رغبتی

सरल विवरणात्मक अर्थ:

🔹 अल्लाह इंसान से सवाल कर रहे हैं:
“अगर मैं (अल्लाह) तुम्हारी रोज़ी रोक लूं, तो क्या तुम्हारे बनाये हुए देवी-देवता तुम्हें रोज़ी दे सकते हैं?”

🟡 सच्चाई:

  • इंसान कभी-कभी भूल जाता है कि उसका पालन-पोषण केवल अल्लाह की रहमत से है।
  • अल्लाह ही देता है — हवा, पानी, खाना, सेहत, रोज़गार और सब कुछ।

🔻 लेकिन क्या इंसान सीखता है? नहीं!
बल्कि ये लोग तो अड़ जाते हैं घमंड में, और सच्चाई से मुँह फेर लेते हैं।


🌱 सीख और आत्मनिरीक्षण:

  1. क्या हमें यकीन है कि अल्लाह ही एकमात्र देने वाला है?
  2. क्या हम घमंड में अपने संसाधनों पर भरोसा करते हैं?
  3. क्या हमारी दुआओं में शुक्र और विनम्रता है?

📿 नतीजा:

जिसने दिया है, वो रोक भी सकता है। और जो रोक ले, उसे कोई दूसरा दे नहीं सकता।

🌟 इसलिए घमंड नहीं, सिर झुकाना सीखो — और उसी पर भरोसा रखो जो आकाश और पृथ्वी का मालिक है।



🌟 सूरह अल-मुल्क – आयत 22 (आसान और विस्तृत हिंदी में)

أَفَمَن يَمْشِى مُكِبًّا عَلَىٰ وَجْهِهِۦٓ أَهْدَىٰٓ أَمَّن يَمْشِى سَوِيًّا عَلَىٰ صِرَٰطٍۢ مُّسْتَقِيمٍۢ


📖 आयत का सरल अनुवाद:

“तो क्या वह व्यक्ति जो अपने मुँह के बल गिरता हुआ चलता है, वह अधिक हिदायत पाने वाला है, या वह जो सीधे रास्ते पर सीधा चलता है?”


🔤 शब्द-दर-शब्द सारणी:

अरबी शब्दहिंदी अर्थ
أَفَمَنतो क्या वह व्यक्ति
يَمْشِىचलता है
مُكِبًّاमुँह के बल, औंधे मुँह
عَلَىٰ وَجْهِهِۦٓअपने चेहरे के बल
أَهْدَىٰٓअधिक हिदायत पाया हुआ
أَمَّنया वह जो
يَمْشِىचलता है
سَوِيًّاसीधे ढंग से, संतुलित
عَلَىٰ صِرَٰطٍۢएक रास्ते पर
مُّسْتَقِيمٍۢसीधा, सीधा मार्ग

📘 आसान व्याख्या और तफ़्सीर:

🟢 दृश्य कल्पना:
इस आयत में अल्लाह दो प्रकार के लोगों की तुलना कर रहे हैं:

  1. पहला व्यक्ति:
    • जो अपने मुँह के बल गिरता हुआ चलता है — जैसे अंधेरे में कोई ठोकर खाता है, भटकता है।
    • यह उदाहरण उन लोगों का है जो बिना अल्लाह की हिदायत के जीते हैं — गुमराही, अज्ञानता और नफ्स के पीछे।
  2. दूसरा व्यक्ति:
    • जो सीधे मार्ग पर संतुलन और समझदारी से चलता है।
    • वह अल्लाह की बताई सीधी राह पर है — हिदायत, नूर और अमन का रास्ता।

सवाल:
कौन ज्यादा हिदायत पर है?
जवाब स्पष्ट है — जो सीधी राह पर चल रहा है।


🌷 रूहानी संदेश (Spiritual Insight):

  • जिनके पास इल्म, कुरआन और अल्लाह की रहनुमाई नहीं है, वे अंधेरे में औंधे मुँह भटकने वालों की तरह हैं।
  • लेकिन जो सीरत और शरीअत के साथ चलते हैं, वे राहे-हक़ पर हैं।

💭 खुद से सवाल:

  • क्या मैं अपने जीवन में हिदायत की सीधी राह पर चल रहा हूँ?
  • या क्या मैं बिना रौशनी के रास्ता तय कर रहा हूँ?


🌟 सूरह अल-मुल्क – आयत 23 (सरल और विस्तारपूर्वक हिन्दी अनुवाद)

قُلْ هُوَ ٱلَّذِىٓ أَنشَأَكُمْ وَجَعَلَ لَكُمُ ٱلسَّمْعَ وَٱلْأَبْصَٰرَ وَٱلْأَفْـِٔدَةَ ۖ قَلِيلًۭا مَّا تَشْكُرُونَ


📖 सरल हिन्दी अनुवाद:

“आप कह दीजिए: वही (अल्लाह) है जिसने तुम सबको पैदा किया और तुम्हारे लिए कान, आँखें और दिल बनाए – मगर तुम बहुत ही कम शुक्र अदा करते हो।”


🔤 शब्द दर शब्द सारणी

अरबी शब्दहिंदी अर्थ
قُلْकह दो
هُوَवही
ٱلَّذِىٓवह (सत्ता) जिसने
أَنشَأَكُمْतुम्हें पैदा किया
وَجَعَلَ لَكُمْऔर तुम्हारे लिए बनाया
ٱلسَّمْعَसुनने की शक्ति (कान)
وَٱلْأَبْصَٰرَदेखने की शक्ति (आँखें)
وَٱلْأَفْـِٔدَةَदिल (सोचने समझने की शक्ति)
قَلِيلًۭاबहुत कम
مَّا تَشْكُرُونَतुम शुक्र करते हो

🧠 सरल व्याख्या (तफ़्सीर):

🔹 “आप कह दीजिए…”
रसूल ﷺ को हुक्म दिया गया कि लोगों को बताओ – यह सब कुछ किसी और ने नहीं बल्कि अल्लाह ने किया है।

🔹 “वही है जिसने तुम्हें पैदा किया…”
तुम्हारा वजूद, तुम्हारी हड्डियाँ, माँस, खून – सब उसी की रहमत है।

🔹 “तुम्हारे लिए कान, आँखें और दिल बनाए…”

  • कान: ताकि तुम सुन सको – अच्छाई की बातें, नसीहत, कुरआन।
  • आँखें: ताकि तुम देख सको – अल्लाह की निशानियाँ, हक और बातिल का फ़र्क।
  • दिल: ताकि तुम सोच सको, समझ सको, सही गलत का फ़ैसला कर सको।

🔹 “मगर तुम बहुत कम शुक्र करते हो…”
कितनी अजीब बात है कि इंसान सब कुछ पाकर भी बहुत कम शुक्र करता है। यह आयत हमें खुद को टटोलने की दावत देती है।


🌷 सीखने योग्य बातें:

  • जो कुछ हमारे पास है – वो सब अल्लाह की नेमत है।
  • शुकर करने का असली मतलब है – अल्लाह की दी हुई नेमतों को सही राह में इस्तेमाल करना।
  • आँखें, कान और दिल – इनका इस्तेमाल हमें गुनाहों में नहीं बल्कि हिदायत और भलाई में करना चाहिए।


📖 सूरह अल-मुल्क (67:24) – विस्तृत हिंदी अर्थ और व्याख्या

قُلْ هُوَ ٱلَّذِى ذَرَأَكُمْ فِى ٱلْأَرْضِ وَإِلَيْهِ تُحْشَرُونَ


📘 हिंदी अर्थ:

“कहो, वही है जिसने तुम्हें ज़मीन में फैला दिया, और उसी की ओर तुम सब लौटाए जाओगे।”


🔍 शब्द-दर-शब्द अर्थ:

अरबी शब्दहिंदी अर्थ
قُلْकहो
هُوَवही है (वह)
ٱلَّذِىजिसने
ذَرَأَكُمْतुम्हें फैला दिया
فِى ٱلْأَرْضِज़मीन में
وَإِلَيْهِऔर उसकी ओर
تُحْشَرُونَतुम सब को इकट्ठा किया जाएगा

🧠 व्याख्या और विवरण:

🔹 “कहो, वही है जिसने तुम्हें ज़मीन में फैला दिया…”
यह आयत इंसान की उत्पत्ति और उसके पृथ्वी पर फैलने की तरफ इशारा करती है। पृथ्वी पर मनुष्यों की विविधता, विभिन्न भाषाएं, जातियां, और उनकी जगहें सब अल्लाह की इच्छा और क़ुदरत का नतीजा हैं।

🔹 “और उसी की ओर तुम सब लौटाए जाओगे।”
यह बताता है कि इंसानों का यह फैलाव अस्थायी है, और आख़िरत में सब इंसान अल्लाह के सामने जमा होंगे जहाँ उनके कर्मों का हिसाब लिया जाएगा।


🌟 सोचने योग्य बातें:

  • 🌍 इंसान इस दुनिया में बेकार नहीं है, बल्कि अल्लाह ने उसे एक उद्देश्य के साथ बनाया और फैलाया।
  • ⚖️ हर इंसान की आख़िरी मंज़िल अल्लाह की अदालत है, जहाँ उसकी पूरी ज़िंदगी का हिसाब होगा।
  • 💡 यह आयत हमें याद दिलाती है कि दुनिया की ज़िंदगी अस्थायी है, और हमें अपनी आख़िरी तैयारी करनी चाहिए।


🌸 आयत 25 — अरबी मूल और उच्चारण

وَيَقُولُونَ مَتَىٰ هَـٰذَا ٱلْوَعْدُ إِن كُنتُمْ صَـٰدِقِينَ
Wa yaqooloona matā hādhā al-waʿdu in kuntum sādiqīn


📘 शब्द दर शब्द अर्थ तालिका

अरबी शब्दहिंदी अर्थउर्दू مطلب
وَيَقُولُونَऔर वे कहते हैंاور وہ کہتے ہیں
مَتَىٰकब?کب
هَـٰذَاयहیہ
ٱلْوَعْدُवादा / धमकी (अज़ाब की)وعدہ (عذاب کا)
إِنअगरاگر
كُنتُمْतुम लोग होتم ہو
صَـٰدِقِينَसच्चेسچے

🔹 सरल हिंदी अनुवाद

“और वे कहते हैं: यह वादा (अज़ाब का) कब पूरा होगा, यदि तुम लोग सच्चे हो?”


विस्तृत व्याख्या

यह आयत उन लोगों की बात बताती है जो क़ियामत और अल्लाह के अज़ाब की चेतावनी को झूठ समझते हैं। वे मज़ाक़ में पूछते हैं कि अगर तुम सच बोल रहे हो, तो वह दिन कब आएगा?
उनका यह सवाल विश्वास से नहीं, बल्कि ताना मारने और उपहास करने के अंदाज़ में होता है।

💭 सबक़:
इंसान जब हठधर्मी और घमंड में होता है तो सच बात को भी झूठा ठहराता है। लेकिन अल्लाह का अज़ाब अचानक आ सकता है, और फिर पछताने का कोई फायदा नहीं होता।


📖 Surah Al-Mulk – Ayat 26 (अरबी पाठ)

قُلْ إِنَّمَا ٱلْعِلْمُ عِندَ ٱللَّهِ ۖ وَإِنَّمَآ أَنَا۠ نَذِيرٌۭ مُّبِينٌ

(Qul innamā al-ʿilmu ʿinda Allāh, wa innamā anā nadhīrun mubīn)


🔹 Ayah 26 — Arabic with Transliteration

قُلْ إِنَّمَا ٱلْعِلْمُ عِندَ ٱللَّهِ ۖ وَإِنَّمَآ أَنَا۠ نَذِيرٌۭ مُّبِينٌۭ
Qul innamā al-ʿilmu ʿinda Allāh, wa innamā anā nadhīrun mubīn


🔹 Word-by-Word Table

अरबी शब्दहिंदी अर्थاردو مطلب
قُلْकह दोکہہ دو
إِنَّمَاबस यहीصرف یہی
ٱلْعِلْمُज्ञान / इल्मعلم
عِندَपास / के पासکے پاس
ٱللَّهِअल्लाहاللہ
وَإِنَّمَآऔर बस यहीاور صرف یہی
أَنَا۠मैंمیں
نَذِيرٌۭडर सुनाने वाला / चेतावनी देने वालाڈرانے والا
مُّبِينٌۭस्पष्ट रूप से / खुल्लम खुल्लाواضح

📘 हिंदी अनुवाद :

“कह दो: असली ज्ञान तो सिर्फ अल्लाह के पास है, और मैं तो केवल साफ़ तौर पर चेतावनी देने वाला हूँ।”


📚 सरल व्याख्या

🔹 “कह दो…”
— यह अल्लाह का हुक्म है कि पैग़म्बर मुहम्मद ﷺ अपनी उम्मत को यह बात साफ़ तौर पर कहें।

🔹 “ज्ञान तो सिर्फ अल्लाह के पास है…”
— यानी जो लोग यह पूछते हैं कि क़यामत कब आएगी या अल्लाह का अज़ाब कब उतरेगा — तो इसका सही जवाब सिर्फ अल्लाह ही जानता है।

🔹 “और मैं तो केवल चेतावनी देने वाला हूँ…”
— पैग़म्बर का काम यह नहीं है कि वह हर बात का समय बताएँ, बल्कि उनका फ़र्ज़ है कि लोगों को आख़िरत, सज़ा और जन्नत-जहन्नम की हकीकत बता दें।


🌟 सीख:

  • हर चीज़ का इल्म इंसान को नहीं दिया गया है।
  • अल्लाह ही सब कुछ जानने वाला है।
  • हमें नबी की चेतावनियों पर ध्यान देना चाहिए और अपने अमल सुधारने चाहिए।

📖 सूरह अल-मुल्क – आयत 27 :

فَلَمَّا رَأَوْهُ زُلْفَةًۭ سِيٓـَٔتْ وُجُوهُ ٱلَّذِينَ كَفَرُوا۟ وَقِيلَ هَـٰذَا ٱلَّذِى كُنتُم بِهِۦ تَدَّعُونَ


📘 आसान हिंदी अनुवाद:

“फिर जब वे (काफिर) उसे (अज़ाब को) पास आता हुआ देखेंगे, तो इनकार करने वालों के चेहरे बिगड़ जाएंगे, और कहा जाएगा: यही है वह (अज़ाब), जिसे तुम बुलाया करते थे!”


📘 🔹 शब्द दर शब्द तालिका | Word-by-Word Table

अरबी शब्दहिंदी अर्थاردو مطلب
فَلَمَّاफिर जबپس جب
رَأَوْهُउन्होंने उसे देखाانہوں نے اسے دیکھا
زُلْفَةًनज़दीक / पासقریب
سِيٓـَٔتْबिगड़ गए / बदसूरत हो गएبگڑ گئے
وُجُوهُचेहरेچہرے
ٱلَّذِينَवे लोग जोوہ لوگ جو
كَفَرُوا۟इनकार करते थे / नास्तिक थेکافر ہوئے
وَقِيلَऔर कहा जाएगाاور کہا جائے گا
هَـٰذَاयहیہی
ٱلَّذِىवह जोوہ جو
كُنتُمतुम थेتم تھے
بِهِۦउसके बारे मेंاس کے بارے میں
تَدَّعُونَपुकारते थे / दावा करते थेدعویٰ کرتے تھے / پکارتے تھے

🌸 संक्षिप्त पुनरावृत्ति / Reminder

इस आयत में हमें यह सिखाया गया है कि जो लोग आज सच्चाई का इनकार करते हैं, वही कल अपने चेहरे पर शर्म और घबराहट लिए खड़े होंगे। अब भी समय है — तौबा, नमाज़ और अच्छे अमल की ओर लौटने का।


📚 सरल व्याख्या:

🔸 “जब वे उसे पास आता देखेंगे…”
— इसका मतलब है कि जब अल्लाह का वादा किया हुआ अज़ाब या क़यामत सामने आ जाएगी और अब कोई रास्ता नहीं बचेगा।

🔸 “तो इनकार करने वालों के चेहरे बिगड़ जाएंगे…”
— डर, शर्म, पछतावा और घबराहट उनके चेहरों पर साफ़ झलकने लगेगी।

🔸 “और कहा जाएगा: यही है वह…”
— यह ताना देते हुए कहा जाएगा: ये वही है जो तुम मज़ाक में मांगा करते थे — अब झेलो इसे!


🌟 सीख / संदेश:

  • अल्लाह की चेतावनी को हल्के में नहीं लेना चाहिए।
  • दुनिया में जो लोग अल्लाह के अज़ाब को मज़ाक समझते हैं, वे आख़िरत में पछताएंगे।
  • इस आयत से हमें यह समझ आता है कि तौबा और सुधरने का समय इसी दुनिया में है।


    🌟 Surah Al-Mulk – Ayah 28 (67:28)

    Arabic:

    قُلْ أَرَءَيْتُمْ إِنْ أَهْلَكَنِىَ ٱللَّهُ وَمَن مَّعِىَ أَوْ رَحِمَنَا فَمَن يُجِيرُ ٱلْكَـٰفِرِينَ مِنْ عَذَابٍ أَلِيمٍۢ


    📘 सरल हिंदी अनुवाद:

    “आप कह दीजिए: बताओ तो सही, अगर अल्लाह मुझे और मेरे साथियों को नष्ट कर दे या हम पर रहमत कर दे, तो (फिर) कौन है जो काफ़िरों को दर्दनाक अज़ाब से बचा सकेगा?”


    📋 शब्द दर शब्द सारणी (Arabic → Hindi Meaning)

    Arabic (अरबी)Hindi (हिंदी अर्थ)
    قُلْकह दो / आप कहिए
    أَرَءَيْتُمْक्या तुमने देखा / सोचा / विचार किया?
    إِنْअगर
    أَهْلَكَنِىَमुझे नष्ट कर दे
    ٱللَّهُअल्लाह
    وَمَنऔर जो
    مَّعِىَमेरे साथ हैं
    أَوْया
    رَحِمَنَاहम पर रहम करे
    فَمَنतो कौन है जो
    يُجِيرُपनाह देगा / बचाएगा
    ٱلْكَـٰفِرِينَइनकार करने वालों को / काफ़िरों को
    مِنْसे
    عَذَابٍसज़ा / यातना
    أَلِيمٍۢअत्यंत दर्दनाक

    🧠 गहराई से समझना (तफ़्सीर):

    🔹 1. قُلْ أَرَءَيْتُمْ:

    “आप कह दीजिए: क्या तुमने सोचा?”
    👉 अल्लाह अपने रसूल ﷺ से कह रहा है कि विरोधियों से पूछो — क्या कभी इस हकीकत पर विचार किया?

    🔹 2. إِنْ أَهْلَكَنِىَ ٱللَّهُ وَمَن مَّعِىَ أَوْ رَحِمَنَا:

    “अगर अल्लाह मुझे और मेरे साथियों को नष्ट कर दे, या हम पर रहम करे…”
    👉 यानी, हमारी सज़ा या रहमत — यह हमारी और अल्लाह की बात है।
    👉 तुम्हारा इस पर क्या तर्क है कि अगर हम पर रहमत नहीं होती, तो सच्चाई गलत हो जाती?

    🔹 3. فَمَن يُجِيرُ ٱلْكَـٰفِرِينَ مِنْ عَذَابٍ أَلِيمٍۢ:

    “तो कौन है जो काफ़िरों को दर्दनाक अज़ाब से बचा सकता है?”
    👉 अल्लाह ने ज़ोर दिया कि अपने अंजाम की फिक्र करो।
    👉 नबी का क्या होना है, इससे ज़्यादा ज़रूरी यह है कि तुम अल्लाह की इनकार की हालत में कहाँ जाओगे?



    📖 सूरह अल-मुल्क – आयत 29

    अरबी:
    قُلْ هُوَ ٱلرَّحْمَـٰنُ ءَامَنَّا بِهِۦ وَعَلَيْهِ تَوَكَّلْنَا ۖ فَسَتَعْلَمُونَ مَنْ هُوَ فِى ضَلَـٰلٍۭ مُّبِينٍۢ


    🔸 शब्द दर शब्द हिंदी तालिका

    अरबी शब्दहिंदी अर्थ
    قُلْकह दो
    هُوَवही है
    ٱلرَّحْمَـٰنُअत्यधिक कृपालु / दयालु
    ءَامَنَّاहम ईमान लाए
    بِهِۦउस पर
    وَعَلَيْهِऔर उसी पर
    تَوَكَّلْنَاहमने भरोसा किया
    فَسَتَعْلَمُونَतो तुम जान लोगे (जल्द ही)
    مَنْकौन
    هُوَहै
    فِىमें
    ضَلَـٰلٍۭभटकाव / गुमराही
    مُّبِينٍۢस्पष्ट / खुली

    🔹 आयत का सरल हिंदी अर्थ

    “कह दो: वही है अत्यधिक दयालु (रहमान), हम उस पर ईमान लाए हैं और हमने उसी पर भरोसा किया है। तो तुम शीघ्र जान लोगे कि खुली गुमराही में कौन है।”


    आसान व्याख्या

    • “कह दो: वही है रहमान” — अल्लाह की सबसे प्रमुख विशेषताओं में से एक है ‘रहमान’ यानी अत्यंत दया करने वाला। यह लोगों को याद दिलाया जा रहा है कि तुम जिस शक्ति को झुठला रहे हो, वह कृपालु है।
    • “हम उस पर ईमान लाए और उसी पर भरोसा किया” — यह एक मोमिन की पहचान है: सच्चा विश्वास और संपूर्ण भरोसा सिर्फ अल्लाह पर।
    • “तुम जल्दी जान लोगे…” — यह एक चेतावनी है कि समय आने पर, सच्चाई और ग़लती दोनों स्पष्ट हो जाएँगी।

    🌿 सीखने योग्य बातें

    1. ईमान और भरोसा साथ चलने वाले गुण हैं। सिर्फ मान लेना काफी नहीं, अल्लाह पर संपूर्ण भरोसा भी ज़रूरी है।
    2. दीन के रास्ते पर चलने वाले को डरने की ज़रूरत नहीं — सच्चाई समय के साथ स्पष्ट हो जाती है।
    3. गुमराही और सच्चाई के बीच का फर्क आख़िरकार सबको नज़र आ ही जाता है।

    📖 सूरह अल-मुल्क – आयत 30

    قُلْ أَرَءَيْتُمْ إِنْ أَصْبَحَ مَاؤُكُمْ غَوْرًاۭ فَمَن يَأْتِيكُم بِمَآءٍۢ مَّعِينٍۢ

    “कह दो (हे नबी): क्या तुमने देखा (सोचा)? यदि तुम्हारा पानी ज़मीन में समा जाए (गायब हो जाए), तो बताओ कौन है जो तुम्हें साफ़ (बहता हुआ) पानी ला देगा?”

    🔸 भावार्थ:
    इस आयत में अल्लाह तआला इंसान की मजबूरी को सामने रखकर उसकी आंखें खोल रहे हैं।
    अगर तुम्हारा पानी ज़मीन में ग़ायब कर दिया जाए, तो क्या तुम किसी और से उसे वापस ला सकते हो?
    ये एक चेतावनी है कि सब कुछ अल्लाह के क़ब्जे में है — पानी जैसा मूलभूत तत्व भी।


    📘 शब्द-दर-शब्द हिन्दी तालिका – आयत 30

    अरबी शब्दहिन्दी अर्थ
    قُلْकह दो
    أَرَءَيْتُمْक्या तुमने देखा / क्या तुमने सोचा
    إِنْयदि
    أَصْبَحَबन जाए / हो जाए
    مَاؤُكُمْतुम्हारा पानी
    غَوْرًاगहरे समा जाए / ज़मीन में उतर जाए
    فَمَنतो कौन
    يَأْتِيكُمतुम्हारे पास लाएगा
    بِمَاءٍۢपानी
    مَّعِينٍۢबहता हुआ / साफ़ व स्पष्ट पानी


    हिंदी अर्थ

    कहो (हे पैगंबर): क्या तुमने सोचा है, यदि तुम्हारा पानी (जो पीते हो) जमीन के गहरे भाग में चला जाए (यानी खत्म हो जाए), तो फिर कौन तुम्हारे लिए बहता हुआ साफ पानी लेकर आएगा?



    हिंदी में आसान अनुवाद

    “कहो, क्या तुमने सोचा है कि अगर तुम्हारा पानी जमीन की गहराई में चला जाए तो फिर कौन तुम्हारे लिए साफ और बहता हुआ पानी लेकर आएगा?”


    विस्तार

    यह आयत इंसान को गहरी सोच में डालती है। पानी हमारे जीवन का आधार है। हम रोज़ाना इसे लेते हैं, पीते हैं, लेकिन क्या हमने कभी सोचा है कि अगर यह पानी अचानक हमारे लिए उपलब्ध न रहे, तो क्या होगा?

    • “إِنۡ أَصۡبَحَ مَآؤُكُمۡ غَوۡرٗا” — इसका मतलब है अगर तुम्हारा पानी जो तुम रोज़ पीते हो, गहरे जमीन में चला जाए, यानी खो जाए या खत्म हो जाए। यह एक काल्पनिक स्थिति प्रस्तुत करती है ताकि हम इस अनमोल نعमत को समझ सकें।
    • “فَمَن يَأۡتِيكُم بِمَآءٖ مَّعِينِۭ” — और फिर कौन तुम्हारे लिए साफ, ताजा और बहता हुआ पानी लाएगा? इसका जवाब सिर्फ़ अल्लाह ही है। वही मालिक है जो इन सभी चीज़ों का स्रोत है।

    यह आयत हमें यह एहसास कराती है कि जो कुछ भी हमारे पास है, वह सब अल्लाह की कृपा से है। पानी, जो जीवन का आधार है, वह भी अल्लाह की एक बड़ी नेमत है।


    आध्यात्मिक सीख (Spiritual Insight)

    • यह आयत हमें याद दिलाती है कि हमें अल्लाह की हर نعमत का शुक्र अदा करना चाहिए।
    • यह भी चेतावनी है कि यदि हम इन نعमतों की कदर नहीं करेंगे तो वह सब कुछ खो सकते हैं।
    • हमारी ज़िंदगी के लिए पानी की अहमियत को समझें और इसका एहसान मानें।

    दिल के लिए चिंतन (Reflection for the Heart)

    • क्या मैं रोज़ाना अल्लाह की इन अनमोल نعमतों को याद करता हूँ?
    • क्या मैं इनकी कद्र करता हूँ या इन्हें सामान्य समझता हूँ?
    • क्या मैं अल्लाह की दुआ करता हूँ कि वो हमें अपनी रहमतों से नवाज़ता रहे?

    🌟 सूरह अल-मुल्क (राज्य) — विस्तृत पुनरावलोकन 🌟

    सूरह अल-मुल्क कुरान की 67वीं सूरह है, जो मक्का में उतरी और इसमें 30 आयतें हैं। यह सूरह अल्लाह की महानता, सत्ता और उसके सृजन की पूर्णता को सुंदरता से दर्शाती है — यह याद दिलाती है कि ब्रह्मांड पर अल्लाह का पूर्ण नियंत्रण है और इंसान के ईमान या इनकार के परिणाम क्या होंगे।

    🕌 मुख्य विषय और संदेश:

    अल्लाह की सार्वभौमिक सत्ता 👑
    सूरह की शुरुआत अल्लाह को सर्वोच्च शासक बताते हुए होती है, जो आसमान, ज़मीन और सब कुछ का मालिक है। यह हमें यह एहसास कराता है कि सब कुछ उसकी इच्छा और आदेश से होता है।

    सृजन ईश्वरीय बुद्धिमत्ता का निशान 🌌
    आसमान की बेदाग व्यवस्था से लेकर प्रकृति के संतुलन तक, हर चीज़ एक सर्वज्ञानी रचयिता की ओर इशारा करती है। यह हमें सृष्टि के प्रति गहरे विचार करने के लिए प्रेरित करता है।

    जीवन, मृत्यु और परलोक ⚖️
    सूरह पुनरुत्थान और जवाबदेही की हक़ीकत को बल देती है। जो लोग ईमान से इनकार करते हैं, उन्हें परलोक में सख्त सजा भुगतनी होगी, जबकि नेक लोग सदा के लिए खुशहाल होंगे।

    मुमिनों की रक्षा 🕊️
    ईमानदारों को अल्लाह की रहमत और सुरक्षा का खास ज़िक्र किया गया है, जो उसकी शक्ति पर भरोसा रखते हैं और धर्मपरायण जीवन जीते हैं।

    इंसानी जवाबदेही और स्वतंत्र इच्छा 🤲
    हालांकि अल्लाह का नियंत्रण पूर्ण है, इंसान अपनी पसंद के लिए ज़िम्मेदार है। सूरह बताती है कि काफ़िर अपने इनकार पर पछताएंगे, जबकि मुमिनों को उनके समर्पण से सुकून मिलेगा।

    सोच-विचार और तौबा की ताकत 🌿
    सूरह अल-मुल्क हमें अपने आस-पास के निशानों पर ध्यान देने और समय रहते तौबा करने की हिदायत देती है। असली कामयाबी उसी में है जो यहाँ के बाद की ज़िंदगी के लिए तैयारी करे।

    आध्यात्मिक और व्यावहारिक जानकारियाँ:

    🌟 ब्रह्मांड एक किताब है: हर तारा, बादल और जीव अल्लाह की महिमा की कहानी सुनाता है। हमें इसे खुले दिल से पढ़ना चाहिए।
    🌟 जीवन एक परीक्षा है: हमारी अस्थायी दुनिया हमारी परीक्षा है — हमारा तरीका तय करेगा हमारा अंतिम नतीजा।
    🌟 रहमत हमेशा नज़दीक है: चेतावनी के बीच भी उम्मीद बनी रहती है — अल्लाह की रहमत बहुत बड़ी है और सच्चे दिल से की गई तौबा से हमेशा मिलती है।
    🌟 मौत की याददाश्त: जीवन की नाजुकता की याद हमें सजग और कृतज्ञ बनाती है।

    💡 सूरह अल-मुल्क खास क्यों है?

    • यह क़ब्र की सजा से बचाती है।
    • इसका रोजाना पाठ रहमत और माफ़ी का माध्यम माना जाता है।
    • यह मुमिनों के विश्वास को मजबूत करती है और अल्लाह की महत्ता से जोड़ती है।

    🧡 दिल के लिए सोचने वाले सवाल:

    • क्या मैंने अल्लाह के निशानों पर सच में ध्यान दिया है? 🌍
    • क्या मैं परलोक और जवाबदेही के बारे में सचेत हूँ? ⚖️
    • मैं अपने कर्मों को अल्लाह की सत्ता पर विश्वास के अनुसार कैसे बेहतर बना सकता हूँ? 🤲
    • क्या मैं अल्लाह से सच्चे दिल से माफी मांगता हूँ, जो बड़ा रहम करने वाला है? 🌿

    📖 सारांश:

    सूरह अल-मुल्क हमें याद दिलाती है कि अल्लाह की सत्ता पूर्ण है, उसका सृजन बेहतरीन है, और उसका न्याय निःसंदेह सही है। यह हमें बेख़ुदी से जागने, अपनी जगह समझने और तौबा व ईमान को अपनाने के लिए प्रेरित करती है।

    सूरह अल-मुल्क का पाठ और उसका चिंतन हमारे दिलों को नम्रता, कृतज्ञता और मजबूत विश्वास से भर दे। 🌹


    📝 सूरह अल-मुल्क पर क्विज़

    1. सूरह अल-मुल्क हमें मुख्यतः किस बात की याद दिलाती है?
      a) प्रकृति की सुंदरता
      b) अल्लाह की पूर्ण सत्ता और न्याय
      c) पैग़ंबरों का इतिहास
    2. सूरह के अनुसार, जो अल्लाह के निशानों को नकारते हैं उनका क्या होगा?
      a) इस दुनिया में तुरंत सजा मिलेगी
      b) उन्हें परलोक में सजा भुगतनी होगी
      c) उन्हें इनाम मिलेगा
    3. मुमिनों के लिए सूरह अल-मुल्क में क्या हिदायत दी गई है?
      a) अल्लाह की सृष्टि पर विचार करें
      b) सांसारिक परीक्षाओं को नजरअंदाज करें
      c) नमाज़ से बचें
    4. सूरह में अल्लाह की रहमत कैसे बताई गई है?
      a) केवल कुछ लोगों के लिए सीमित
      b) बहुत बड़ी और सच्चे मन से की गई तौबा के ज़रिए हमेशा मिलती है
      c) केवल पैग़ंबरों के लिए

    🖊️ उत्तर:
    1: b) अल्लाह की पूर्ण सत्ता और न्याय
    2: b) उन्हें परलोक में सजा भुगतनी होगी
    3: a) अल्लाह की सृष्टि पर विचार करें
    4: b) बहुत बड़ी और सच्चे मन से की गई तौबा के ज़रिए हमेशा मिलती है


    1️⃣ अल्लाह की हुकूमत और पूरी क़ायमात 👑🌌🌟⚖️

    तसवीरी ख्याल:

    • ताज जो अल्लाह की हुकूमत का निशान हो
    • आसमान बिना किसी दरार के
    • तौलने के लिए तराज़ू
    • ज़मीन और चमकते सितारे

    याद रखने का तरीका:
    “रहमान का परफेक्ट आसमानी तौल”

    • रहमान = अल्लाह की हुकूमत
    • परफेक्ट = आसमान की बेदाग़ तखलीक
    • आसमान = विस्तृत फ़लक
    • तौल = सब चीज़ों में हम-आहंगी

    2️⃣ ज़िंदगी, मौत और क़ियामत ⚰️🔄

    तसवीरी ख्याल:

    • ज़िंदगी का चक्र: पैदाइश → मौत → क़ियामत
    • वक़्त दिखाती घड़ी
    • क़ियामत का तराज़ू

    याद रखने का तरीका:
    “ज़िंदगी का बड़ा लौटना”

    • ज़िंदगी
    • पैदाइश और मौत
    • क़ियामत पर वापसी

    3️⃣ हिसाब किताब और सवाब 🕊️🔥

    तसवीरी ख्याल:

    • अमल की किताब
    • दो रास्ते: जन्नत (पंछी) और जहन्नम (आग)
    • खुश और उदास चेहरे

    याद रखने का तरीका:
    “अच्छे काम या आग”

    • अच्छे अमल सवाब का कारण
    • आग = इंकार की सज़ा

    4️⃣ रहमत और माफ़ी 🌿❤️

    तसवीरी ख्याल:

    • दिल जो रोशनी दे रहा हो
    • हरे शाखें जो रहमत का निशान हों
    • हाथ दुआ के लिए उठे हुए

    याद रखने का तरीका:
    “रहमत, दिल और दरवाज़ा खुला”

    • रहमत वसीع है
    • दिल तौबा के लिए खुला है

    5️⃣ तफ़क्कुर और आग़ाही 🤲💭

    तसवीरी ख्याल:

    • सोचते हुए इंसान
    • आँख का निशान
    • कुरआन और कुदरती निशानियाँ

    याद रखने का तरीका:
    “सोचो, देखो, ईमान लाओ”

    • गहराई से सोचो
    • निशानियाँ देखो
    • दिल से ईमान लाओ


    हुकूमत है बस खुदा की, जहाँ-जहाँ नज़र जाए,
    फ़लक से फ़रिश्तों तक, हुसन उसका नज़र आये

    आसमानी यह किताब, सितारों की ये मिसाल,
    हर निशाँ है उसकी, मेहरबानी का कमाल

    ज़िन्दगी है इक तहरीर, मौत नहीं है अंजाम,
    फिर आएगा हिसाब-नज़र आये गा अंजाम

    जो दिल से मानें खुदा को, पाएंगे नूर की राह,
    रहमत का दरिया है, है सुकून की वोह चाह।

    सोचो, समझो, तौबा करो, दिल करो साफ़
    गुज़रे कल की ग़लतियाँ ख़ुदा कर देगा माफ़

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