“हे अल्लाह! हम तेरे मुबारक कलाम की यात्रा पर निकले हैं, केवल पढ़ने के लिए नहीं, बल्कि चिंतन करने, महसूस करने, प्रेम करने और अपनी ज़िंदगी को संवारने के लिए। हमारे दिलों को क़ुरआन की बहार से हरा-भरा और उज्जवल कर दे।”
नोट: क़ुरआन करीम की फसाहत और इसकी गहराई को किसी भी अन्य भाषा में पूरी तरह व्यक्त नहीं किया जा सकता। मेरी कोशिश केवल यह है कि अरबी पाठ के लिए हिंदी में एक मार्गदर्शक संदर्भ प्रदान किया जाए, ताकि प्रारंभिक स्तर के पाठकों को सुविधा हो। एक समर्पित साधक को चाहिए कि वह निरंतर प्रयासों द्वारा अरबी भाषा की समझ को और गहरा करे। पाठकों से अनुरोध है कि वे अरबी पाठ की तुलना क़ुरआन के मुद्रित संस्करण से करें। यदि कोई त्रुटि देखी जाए, तो कृपया इसे टिप्पणी अनुभाग में उल्लेख करें ताकि शीघ्र सुधार किया जा सके। धन्यवाद।
डॉ. अनवर जमील सिद्दीकी
🌙 सूरह अल-मुल्क
यह वह महान सूरह है जिसे पैगंबर मुहम्मद ﷺ रात में अक्सर पढ़ते थे। आप ﷺ ने इसे “कब्र के अज़ाब से बचाने वाली सूरह” कहा। यह रक्षक सूरह है, जो ईमान वालों को सुरक्षा प्रदान करती है।
🌙 सूरह अल-मुल्क – आयत 1
अरबी:
تَبَارَكَ ٱلَّذِى بِيَدِهِ ٱلْمُلْكُ وَهُوَ عَلَىٰ كُلِّ شَىْءٍۢ قَدِيرٌۭ
शब्द-दर-शब्द अर्थ:
🕌 تَبَارَكَ — अति शुभ, अनंत गुणों वाला ✨
🕌 ٱلَّذِى — वह जो 🌿
🕌 بِيَدِهِ — जिसके हाथ में है 🤲
🕌 ٱلْمُلْكُ — संपूर्ण राज्य, सम्पूर्ण सत्ता 👑
🕌 وَهُوَ — और वही ☝️
🕌 عَلَىٰ كُلِّ شَىْءٍۢ — हर चीज़ पर 🌎
🕌 قَدِيرٌۭ — अत्यंत शक्तिशाली, संपूर्ण रूप से सक्षम 💪
📘 व्याख्या:
यह पहली आयत एक दिव्य घोषणा के समान है, जो हमें याद दिलाती है कि संपूर्ण अधिकार, स्वामित्व और शक्ति केवल अल्लाह के पास है। वह न केवल सृष्टिकर्ता हैं बल्कि सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड के स्वामी और संरक्षक भी हैं। जीवन, मृत्यु, प्रकृति के नियम, समय, और राज्यों का उत्थान-पतन—सब कुछ उनकी इच्छा के अधीन है।
💖 “तबारक” शब्द का अर्थ है शाश्वत बरकत, उच्चता और असीम श्रेष्ठता। यह दर्शाता है कि अल्लाह की सत्ता अस्थायी या त्रुटिपूर्ण नहीं है, बल्कि निरंतर और पूर्ण है।
📜 ऐतिहासिक संदर्भ (असबाब अल-नुज़ूल):
यह सूरह मक्का में उस समय अवतरित हुई, जब पैगंबर ﷺ को तीव्र विरोध का सामना करना पड़ रहा था। यह आयतें अविश्वासियों को याद दिलाती हैं कि वास्तविक स्वामित्व और सत्ता सिर्फ अल्लाह के पास है।
🌟 चिंतन और शिक्षा:
❓ क्या हम इस भ्रम में जी रहे हैं कि हम सब कुछ नियंत्रित कर सकते हैं?
❓ क्या हम उन चीजों को लेकर चिंतित होते हैं जो हमारे नियंत्रण से बाहर हैं?
❓ क्या हमें अपने मामलों को अल्लाह के सुपुर्द करने का एहसास है?
यह आयत हमें अल्लाह की शक्ति पर भरोसा करने की ओर प्रेरित करती है—हम उनकी देखरेख में सुरक्षित हैं।
🧭 आमली कदम:
🌿 आज, अपने दिल में मौजूद एक बोझ (कोई डर, कोई अफसोस, कोई चिंता) को एक क्षण दें और ऊँची आवाज़ में कहें:
💙 “या मालिक-उल-मुल्क, मैं यह मामला तुझे सौंपता हूँ। तू क़दीर है, और मैं तुझ पर भरोसा करता हूँ।”
यह क़ुरआनी संदेश हमें सुकून और तसल्ली प्रदान करता है। अल्लाह पर भरोसा रखें, क्योंकि वही सारे मामलों का मालिक है। 💖✨
🌙 सूरह अल-मुल्क – आयत 2
अरबी:
ٱلَّذِى خَلَقَ ٱلْمَوْتَ وَٱلْحَيَوٰةَ لِيَبْلُوَكُمْ أَيُّكُمْ أَحْسَنُ عَمَلًۭا ۚ وَهُوَ ٱلْعَزِيزُ ٱلْغَفُورُ
📖 शब्द-दर-शब्द अर्थ:
🕌 ٱلَّذِى — वह जो (The One who)
🕌 خَلَقَ — पैदा किया (Created)
🕌 ٱلْمَوْتَ — मृत्यु (Death)
🕌 وَٱلْحَيَوٰةَ — और जीवन (And life)
🕌 لِيَبْلُوَكُمْ — ताकि तुम्हें आज़माए (To test you)
🕌 أَيُّكُمْ — तुम में कौन (Which of you)
🕌 أَحْسَنُ عَمَلًۭا — सबसे अच्छे कर्म वाला (Best in deeds)
🕌 وَهُوَ — और वही (And He)
🕌 ٱلْعَزِيزُ — अत्यंत शक्तिशाली (The Almighty)
🕌 ٱلْغَفُورُ — अत्यंत क्षमाशील (The Most Forgiving)
📘 व्याख्या:
यह आयत हमें हमारी जीवन की उद्देश्यपूर्णता के बारे में सिखाती है:
जीवन और मृत्यु संयोगवश नहीं घटतीं, बल्कि अल्लाह की योजना के अनुसार बनाई गई हैं—ताकि हम अपने कर्मों द्वारा परखे जाएं।
🔹 ध्यान दें: अल्लाह ने यह नहीं कहा कि “जो सबसे अधिक कर्म करता है”, बल्कि “जो सबसे अच्छे (अहसान) कर्म करता है”।
यह कर्मों की संख्या के बजाय उनकी सच्चाई, इरादा, गुणवत्ता और दिल की सच्चाई की बात करता है।
📜 ऐतिहासिक संदर्भ:
यह आयत मक्का के घमंडी इनकार करने वालों को संबोधित करती थी, जो जीवन के उद्देश्य से अंधे थे।
🌟 चिंतन और शिक्षा:
💭 खुद से पूछें:
❓ क्या मैं इस परीक्षा की वास्तविकता को समझता हूँ?
❓ क्या मैं अपने कर्मों में उत्कृष्टता की कोशिश करता हूँ या बस औपचारिक रूप से करता हूँ?
❓ क्या मैंने हाल ही में अपनी नीयत की सच्चाई पर ध्यान दिया है?
👉 “सिर्फ अस्तित्व में रहने में व्यस्त मत रहो—उद्देश्यपूर्ण तरीके से जियो। क्योंकि मृत्यु भी एक दिव्य कारण से बनाई गई है।”
🧭 आमली कदम:
आज, एक कर्म (इबादत, दान, दयालुता का एक शब्द) को उठाएं और उसकी गुणवत्ता को ऊँचा करें:
✔ नियत में सच्चाई जोड़ें
✔ इसे एहसान (उत्कृष्टता) के साथ करें
✔ दिल को उसमें शामिल करें
✔ और खुद से कहें:
💙 “या रब्ब, कृपया मुझे इस परीक्षा को ऐसी खूबसूरती से पास करने में मदद करें जो तुझे पसंद आए।”
🤲 दुआ (प्रार्थना):
“या अल्लाह, जीवन और मृत्यु के बनाने वाले, मेरी ज़िंदगी को उद्देश्यपूर्ण बनाओ और मेरी मृत्यु को सम्मानजनक। मेरे कर्मों को तेरी दृष्टि में सबसे बेहतरीन बना दे। अपनी शक्ति (अल-‘अज़ीज़) से मुझे मजबूत करो और अपनी क्षमा (अल-ग़फूर) से मुझे अपनाओ। आमीन।”
🌸 चिंतन (काव्यात्मक शैली)
तुम्हारी पहली साँस लेने से पहले,
तुम शांति के लोक में थे—
जहाँ ख़ामोशी ने तुम्हारी आत्मा को दिव्य स्मरण में लपेटा।
फिर जीवन आया, तेज़ और चमकदार—एक परीक्षा, एक मंच।
और एक दिन, एक पंखुड़ी की तरह अपनी जड़ की ओर लौटते हुए,
तुम मृत्यु के द्वार से गुज़रोगे—
न एक अंत की तरह,
बल्कि एक दरवाजे की तरह… वापस घर।
🌙 सूरह अल-मुल्क – आयत 3 (67:3)
🕋 अरबी पाठ:
ٱلَّذِى خَلَقَ سَبْعَ سَمَـٰوَٟتٍۢ طِبَاقًۭا ۖ مَّا تَرَىٰ فِى خَلْقِ ٱلرَّحْمَـٰنِ مِن تَفَـٰوُتٍۢ ۖ فَٱرْجِعِ ٱلْبَصَرَ هَلْ تَرَىٰ مِن فُطُورٍۢ
📖 उच्चारण (Transliteration):
Alladhī khalaqa sabʿa samāwātin ṭibāqan ۖ mā tarā fī khalqi r-raḥmāni min tafāwutin ۖ fa-irjiʿi l-baṣara hal tarā min fuṭūr
📘 शब्द-दर-शब्द अर्थ:
🕌 ٱلَّذِى — वह जिसने (The One who)
🕌 خَلَقَ — बनाया (Created)
🕌 سَبْعَ — सात (Seven)
🕌 سَمَاوَاتٍۢ — आकाश (Heavens)
🕌 طِبَاقًۭا — एक के ऊपर एक (Layer upon layer)
🕌 مَّا — नहीं (Not)
🕌 تَرَىٰ — तुम देखोगे (You see)
🕌 فِى — में (In)
🕌 خَلْقِ — रचना (Creation)
🕌 ٱلرَّحْمَـٰنِ — अति दयालु (The Most Merciful)
🕌 مِن — कोई भी (Any)
🕌 تَفَـٰوُتٍۢ — असंगति / कमी (Discrepancy)
🕌 فَٱرْجِعِ — तो लौटाओ (So return)
🕌 ٱلْبَصَرَ — दृष्टि (Sight)
🕌 هَلْ — क्या (Do you)
🕌 تَرَىٰ — तुम देखते हो (You see)
🕌 مِن — कोई (Any)
🕌 فُطُورٍۢ — दोष / दरार (Flaw / Crack)
🌿 सरल अनुवाद:
वह वही है जिसने सात आसमानों को एक के ऊपर एक बनाया।
रहमान की बनाई गई सृष्टि में कोई दोष नहीं।
तो अपने दृष्टि को लौटाओ—क्या तुम इसमें कोई खामी पाते हो?
🧠 चिंतन:
🔹 सात आसमान (سَبْعَ سَمَاوَاتٍ طِبَاقًا):
यह स्वर्गीय स्तरों को संदर्भित करता है—जिनकी विशालता हमारी आँखों की सीमा से परे है।
🔹 अल-रहमान की सृष्टि (فِي خَلْقِ الرَّحْمَٰنِ):
अल्लाह अपनी शक्ति बताने के लिए रहमान (अति दयालु) का नाम चुनते हैं, ताकि हमें याद रहे कि उनकी शक्ति हमेशा दया से घिरी होती है।
🔹 कोई त्रुटि नहीं (مِن تَفَاوُتٍ):
यह आयत हमें इस ब्रह्मांड में त्रुटि खोजने की चुनौती देती है—और हमें महसूस होता है कि कोई भी त्रुटि नहीं है।
🔹 फिर नज़र फेरो (فَٱرْجِعِ ٱلْبَصَرَ):
अल्लाह हमें विचारशीलता की ओर बुलाते हैं। हमारी दृष्टि और बुद्धि कितनी भी उन्नत हो, अल्लाह की पूर्णता के आगे झुक जाएंगी।
🔹 क्या कोई दोष है? (هَلْ تَرَىٰ مِن فُطُورٍ):
यह एक प्रश्न नहीं बल्कि चिंतन का निमंत्रण है। अल्लाह हमसे कह रहे हैं:
खोजो… फिर खोजो… फिर खोजो… तुम मेरी रचना में कोई खामी नहीं पाओगे।
न ग्रहों में, न गुरुत्वाकर्षण में, न तुम्हारे DNA में, न तुम्हारी आत्मा में।
🌸 मनन और आत्मचिंतन:
💭 “मेरे रब! मैं आकाश को देखता हूँ, सितारों को देखता हूँ, इस ब्रह्मांड की अद्भुत व्यवस्था को देखता हूँ… और मैं तेरी मौजूदगी को महसूस करता हूँ। यह संतुलन तेरे बिना संभव नहीं। तूने हर कक्षा, हर पंख, हर सांस को योजना के साथ बनाया है। मुझे भी तेरी सृष्टि की तरह स्थिर, आज्ञाकारी और उद्देश्यपूर्ण बना।”
🌌 सबक:
यह केवल देखने का नहीं, बल्कि दिल से अनुभव करने का निमंत्रण है।
अल्लाह हमें गहराई से चिंतन करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं, ताकि हम उनके ब्रह्मांड की पूर्णता से उनकी दिव्य इच्छा की पूर्णता को जोड़ सकें।
🌸 व्यक्तिगत आत्मचिंतन:
💙 “या अल्लाह! मैं फिर से देखता हूँ, बार-बार देखता हूँ—मुझे केवल संतुलन, व्यवस्था और महानता नजर आती है। यदि इस ब्रह्मांड में कोई खामी नहीं है, तो मेरे जीवन की परीक्षा में भी तेरी योजना में कोई खामी नहीं। जब तू मुझे आज़माता है, मेरी दुआओं को देर करता है, मुझे अपनी योजना छुपाता है—तो मैं भरोसा करूँ जैसे तारे तुझ पर करते हैं। मुझे तेरी रहमत के गुरुत्वाकर्षण से दूर न जाने देना।”
✨ अल्लाह हमें उस ज्ञान की ओर बुला रहे हैं जो ब्रह्मांड में बिखरा हुआ है—बस हमें उसे देखने की आदत डालनी है।
🌙 सूरह अल-मुल्क – आयत 4
🕋 अरबी पाठ:
ثُمَّ ٱرْجِعِ ٱلْبَصَرَ كَرَّتَيْنِ يَنقَلِبْ إِلَيْكَ ٱلْبَصَرُ خَاسِئًۭا وَهُوَ حَسِيرٌۭ
📖 उच्चारण (Transliteration):
Thumma irjiʿil-baṣara karratayn yanqalib ilayka al-baṣaru khāsi’an wa huwa ḥasīr
📘 शब्द-दर-शब्द अर्थ:
🕌 ثُمَّ — फिर (Then)
🕌 ٱرْجِعِ — लौटाओ (Return)
🕌 ٱلْبَصَرَ — दृष्टि / नज़र (The vision)
🕌 كَرَّتَيْنِ — दो बार (Twice)
🕌 يَنقَلِبْ — वापस आएगी (Will return)
🕌 إِلَيْكَ — तेरी ओर (To you)
🕌 ٱلْبَصَرُ — नज़र (The vision)
🕌 خَاسِئًۭا — अपमानित / निराश (Humbled / Frustrated)
🕌 وَهُوَ — और वह (And he/it)
🕌 حَسِيرٌۭ — थका हुआ (Weary / Exhausted)
📖 पूर्ण अनुवाद:
“फिर दो बार अपनी दृष्टि फेरो, तुम्हारी दृष्टि तुम्हारी ओर अपमानित और थकी हुई लौटेगी।”
📘 सरल व्याख्या:
🔹 गहरी जाँच का निमंत्रण:
अल्लाह इंसान को बार-बार ब्रह्मांड को परखने का न्योता देते हैं।
पहले प्रयास (आयत 3) के बाद, अब दुबारा देखने को कहा जाता है—और परिणाम वही रहेगा।
कोई त्रुटि नहीं मिलेगी।
🔹 आखिर क्या होता है?
जितना अधिक हम खामियां खोजने की कोशिश करेंगे, उतना ही हमारी दृष्टि असफल होगी।
यह अल्लाह की पूर्णता का बयान है।
🔹 मानव क्षमता की सीमाएँ:
यह आयत subtly यह दिखाती है कि मनुष्य की बुद्धि और दृष्टि सीमित है।
जब हम दिव्य डिज़ाइन से तुलना करते हैं, तो हमारी क्षमता छोटी लगती है।
🌌 आध्यात्मिक सोच:
जब कोई ईमानदारी से ब्रह्मांड के संतुलित डिज़ाइन पर ध्यान देता है—सितारों की लयबद्धता, आकाशगंगाओं का सामंजस्य, जीवन का पूर्ण माप—तो वह विनम्र हो जाता है।
हमें एहसास होता है कि पूर्णता कोई संयोग नहीं बल्कि सर्वज्ञ, सर्वशक्तिमान रचनाकार की निशानी है।
🧠 व्यक्तिगत सीख:
❓ हम कितनी भी आधुनिक तकनीक, उपग्रहों और दूरबीनों का उपयोग कर लें—मानव ज्ञान की सीमाएं हैं।
❓ प्रत्येक असफल प्रयास हमें अल्लाह की महानता के आगे झुकने का न्योता देता है।
❓ यह हमें समर्पण, भरोसा और इबादत की ओर बुलाता है।
🤲 आमली कदम:
💙 “त्रुटियों को खोजने में अपनी आँखें थकाने के बजाय, हमें अपनी आत्मा को इबादत और शुक्रगुज़ारी में थकाना चाहिए।”
💙 “अल्लाह की रचना की पूर्णता हमें उसकी हिकमत की पूर्णता की याद दिलाती है—चाहे वह हमारे इम्तिहान हों, हमारी तक़दीर हो, या जीवन की राहें हों।”
🌙 सूरह अल-मुल्क (67) — आयत 5
🕋 अरबी पाठ:
وَلَقَدْ زَيَّنَّا ٱلسَّمَآءَ ٱلدُّنْيَا بِمَصَٰبِيحَ وَجَعَلْنَـٰهَا رُجُومًۭا لِّلشَّيَـٰطِينِ ۖ وَأَعْتَدْنَا لَهُمْ عَذَابَ ٱلسَّعِيرِ
📖 उच्चारण (Transliteration):
Wa laqad zayyannā as-samā’ad-dunyā bimaṣābīḥa wa jaʿalnāhā rujūmal-lish-shayāṭīn, wa aʿtadnā lahum ʿadhābas-saʿīr
📘 शब्द-दर-शब्द अर्थ:
🕌 وَلَقَدْ — और निश्चय ही (And indeed)
🕌 زَيَّنَّا — हमने सुशोभित किया (We have adorned)
🕌 ٱلسَّمَآءَ ٱلدُّنْيَا — निकटतम आकाश (The nearest heaven)
🕌 بِمَصَٰبِيحَ — दीपों (सितारों) से (With lamps/stars)
🕌 وَجَعَلْنَـٰهَا — और हमने उन्हें बनाया (And We made them)
🕌 رُجُومًۭا — प्रहार करने का माध्यम (Means of pelting)
🕌 لِّلشَّيَـٰطِينِ — शैतानों के लिए (For the devils)
🕌 وَأَعْتَدْنَا — और हमने तैयार किया (And We have prepared)
🕌 لَهُمْ — उनके लिए (For them)
🕌 عَذَابَ ٱلسَّعِيرِ — भड़कती हुई यातना (The punishment of the Blaze)
📖 सरल हिंदी अनुवाद:
“और निश्चय ही हमने निकटतम आकाश को दीपों (सितारों) से सुसज्जित किया और उन्हें शैतानों पर प्रहार करने का माध्यम बनाया, तथा हमने उनके लिए भड़कती हुई यातना को तैयार कर रखा है।”
🌌 चिंतन एवं सारांश:
🔹 स्वर्ग की अलंकारिकता:
अल्लाह बताते हैं कि उन्होंने निकटतम आकाश को न केवल कार्यात्मक बल्कि सौंदर्यपूर्ण रूप से भी सुशोभित किया। सितारे केवल प्रकाश स्रोत नहीं, बल्कि ईश्वरीय रचना के प्रतीक हैं।
🔹 सितारों का सुरक्षा कवच:
“टूटते तारे” या उल्का पिंडों को यहाँ उन शैतानी शक्तियों के खिलाफ मिसाइल के रूप में प्रस्तुत किया गया है जो गुप्त जानकारियाँ चुराने का प्रयास करती हैं (जैसा कि सूरह अस-साफ्फात 37:6-10 और सूरह अल-जिन 72:8-9 में वर्णित है)।
🔹 नैतिक एवं ब्रह्मांडीय व्यवस्था:
यह इंगित करता है कि ब्रह्मांड भी अच्छाई और बुराई के संघर्ष का स्थल है, और प्रत्येक तत्व अल्लाह की योजना का हिस्सा है। ब्रह्मांड यूं ही नहीं बना बल्कि यह उद्देश्यपूर्ण, संरचित और ईश्वरीय संरक्षण में है।
🔹 पूर्वनिर्धारित दंड:
अल्लाह की न्याय व्यवस्था उनके द्वारा भविष्य में मिलने वाले दंड को इंगित करती है, न केवल अदृश्य संसार में बल्कि मानवजाति के लिए भी एक चेतावनी के रूप में।
🕊 आध्यात्मिक मनन:
हर रात जब हम सितारों को देखते हैं, हम केवल दूरस्थ सूर्य तारे नहीं देख रहे होते, बल्कि एक ईश्वरीय संकेत, सुरक्षा और स्मरण को देख रहे होते हैं।
जैसे सितारे अंधकारमय ताकतों को ऊपर से दूर रखते हैं, वैसे ही हमारे दिल को प्रकाश और ईश्वर की याद से भर देना चाहिए, ताकि हम भी अंदर से अंधकार को दूर रख सकें।
💭 “या अल्लाह! तूने आकाशों को सितारों से सजाया और शैतानों को रोकने का माध्यम बनाया। ऐसे ही तू मेरे दिल को अपनी याद से रोशन कर दे और बुराई के प्रभाव से बचा।”
🌙 सूरह अल-मुल्क — आयत 6
🕋 अरबी पाठ:
وَلِلَّذِينَ كَفَرُوا۟ بِرَبِّهِمْ عَذَابُ جَهَنَّمَ ۖ وَبِئْسَ ٱلْمَصِيرُ
📖 उच्चारण (Transliteration):
Wa lilladhīna kafarū birabbihim ʿadhābu jahannam, wa bi’sa al-maṣīr
📘 शब्द-दर-शब्द अर्थ:
🕌 وَلِلَّذِينَ — और उनके लिए जो (And for those who)
🕌 كَفَرُوا۟ — जिन्होंने इनकार किया (Disbelieved)
🕌 بِرَبِّهِمْ — अपने रब का (In their Lord)
🕌 عَذَابُ — यातना (Punishment)
🕌 جَهَنَّمَ — जहन्नम (Of Hell)
🕌 وَبِئْسَ — और अत्यंत बुरा है (And wretched is)
🕌 ٱلْمَصِيرُ — ठिकाना / गंतव्य (The destination)
📖 सरल हिंदी अनुवाद:
“और जो अपने रब का इनकार करते हैं, उनके लिए जहन्नम की यातना है, और वह बहुत ही बुरा ठिकाना है।”
🌌 व्याख्या एवं चिंतन:
🔹 “وَلِلَّذِينَ كَفَرُوا”
यह शब्द विशेष रूप से उन लोगों की ओर इशारा करता है जिनका इनकार केवल अविश्वास नहीं, बल्कि अज्ञानता और उपेक्षा के कारण भी होता है।
यह चेतावनी केवल उन लोगों के लिए नहीं जो घमंड के साथ अविश्वास जताते हैं, बल्कि उन लोगों के लिए भी जो निर्बोध होकर ईश्वर की महानता से दूर रहते हैं।
🔹 “بِرَبِّهِمْ” — “अपने रब का”
अल्लाह ने उनकी अविश्वास को “अपने रब” से जोड़ा।
यह इंगित करता है कि अल्लाह फिर भी उनका रब है, वे केवल उससे मुंह मोड़ चुके हैं।
🔹 “عَذَابُ جَهَنَّمَ”
यह वाक्य बिना किसी अतिशयोक्ति के दिया गया है—यह इतना ही भयावह है कि यह आत्मा को हिला देता है।
🔹 “وَبِئْسَ ٱلْمَصِيرُ”
यह शब्द गहनता से सोचने के लिए आमंत्रित करता है:
“क्या मैं भी उसी गंतव्य की ओर बढ़ रहा हूँ?”
🕊️ आध्यात्मिक चिंतन:
यह आयत सिर्फ धमकी नहीं, बल्कि एक चेतावनी है जो हमें जागृत करने के लिए दी गई है।
💙 “तुम्हारा निर्माण जन्नत के लिए हुआ था—अग्नि के लिए नहीं। वापस आओ, जब तक देर न हो जाए।”
✨ हमारा रब कितना प्रेमपूर्ण है, जो अपनी महिमा से भरपूर क़ुरआन में ये चेतावनियाँ रखता है, ताकि कोई यह न कहे कि ‘मुझे पता नहीं था’।
🌌 सूरह अल-मुल्क — आयत 7
🕋 अरबी पाठ:
إِذَآ أُلْقُوا۟ فِيهَا سَمِعُوا۟ لَهَا شَهِيقًۭا وَهِىَ تَفُورُ
📖 उच्चारण (Transliteration):
Idhā ulqū fīhā samiʿū lahā shahiqan wa hiya tafūr
📘 शब्द-दर-शब्द अर्थ:
🕌 إِذَآ — जब (When)
🕌 أُلْقُوا۟ — उन्हें फेंका जाएगा (They are thrown)
🕌 فِيهَا — उसमें (Into it – Hell)
🕌 سَمِعُوا۟ — वे सुनेंगे (They will hear)
🕌 لَهَا — उसकी तरफ से (From it)
🕌 شَهِيقًۭا — भयंकर सांस लेने की आवाज (A terrible inhaling sound)
🕌 وَهِىَ — जब वह (While it is)
🕌 تَفُورُ — उबल रही होगी / भड़क रही होगी (Boiling / Blazing)
🌍 सरल हिंदी अनुवाद:
“जब उन्हें (अवज्ञाकारी लोगों को) उसमें (जहन्नम में) डाला जाएगा, तो वे उसकी ओर से भयंकर सांस लेने की आवाज सुनेंगे, और वह उबलती हुई होगी।”
🧠 तफ़सीर सारांश एवं चिंतन:
🔹 “إِذَآ أُلْقُوا فِيهَا” — “जब उन्हें उसमें फेंका जाएगा”
यह कोई धीमी प्रक्रिया नहीं होगी, बल्कि भयावह अंदाज़ में फेंका जाएगा।
🔹 “سَمِعُوا لَهَا شَهِيقًۭا” — “वे उसकी ओर से भयंकर सांस लेने की आवाज सुनेंगे”
जहन्नम एक जीवित दरिंदे की तरह सांस लेती है, जैसे कि किसी को निगलने वाली हो।
🔹 “وَهِىَ تَفُورُ” — “जब वह उबल रही होगी”
जहन्नम शांत नहीं है, यह भड़की हुई और गुस्से में उबलती हुई है।
उसकी आग स्वयं अवज्ञाकारी लोगों की उपस्थिति पर प्रतिक्रिया देती है।
🔥 जहन्नम केवल एक स्थान नहीं, बल्कि एक जीवित और क्रोधित वास्तविकता है।
💫 आध्यात्मिक चिंतन:
🌷 प्रिय आत्मा,
यह आयत हमें एक अनदेखी क्षण की झलक देती है—एक ध्वनि जो पहले कभी नहीं सुनी, फिर भी इसकी गूंज दिल तक पहुँचती है।
सोचें: जहन्नम की सांस लेने की आवाज डरावनी है, उसकी आवाज पूरी सृष्टि को हिला देती है।
लेकिन अल्लाह ने इतनी स्पष्टता क्यों दी?
क्योंकि दया हमेशा चेतावनी के अंदर छुपी होती है।
🔹 वह हमें पहले ही जगा देना चाहते हैं, ताकि आग हमें जगाने से पहले हम संभल जाएं।
🔹 यह आयत हमारे दिलों को कठोर करने के लिए नहीं, बल्कि नरम करने के लिए है।
🔹 यह हमें अधीनता के रास्ते पर लाने के लिए है, ताकि हमारी इबादत सच्ची हो।
🌹 क़ुरआन डराने के लिए नहीं आया, बल्कि बचाने के लिए आया है।
🌌 सूरह अल-मुल्क — आयत 8
🕋 अरबी पाठ:
تَكَادُ تَمَيَّزُ مِنَ ٱلْغَيْظِ ۖ كُلَّمَآ أُلْقِىَ فِيهَا فَوْجٌۭ سَأَلَهُمْ خَزَنَتُهَآ أَلَمْ يَأْتِكُمْ نَذِيرٌۭ
📖 उच्चारण (Transliteration):
Takādu tamayyazu minal-ghayẓ. Kullamā ulqiya fīhā fawjun sa’alahum khazanatuhā: ‘A lam ya’tikum nadhīr?’
📘 शब्द-दर-शब्द अर्थ:
🕌 تَكَادُ — यह लगभग (It almost)
🕌 تَمَيَّزُ — फटने को है / टूटने को है (Bursts apart)
🕌 مِنَ ٱلْغَيْظِ — क्रोध से (From rage)
🕌 كُلَّمَآ — जब कभी (Every time)
🕌 أُلْقِىَ — डाला गया (Is thrown)
🕌 فِيهَا — उसमें (Into it – Hell)
🕌 فَوْجٌۭ — एक समूह (A group)
🕌 سَأَلَهُمْ — उनसे पूछा जाएगा (They will be asked)
🕌 خَزَنَتُهَآ — उसके रखवाले (Its keepers / guardians)
🕌 أَلَمْ يَأْتِكُمْ — क्या तुम्हारे पास नहीं आया? (Did no one come to you?)
🕌 نَذِيرٌۭ — कोई सचेत करने वाला (A warner)
🌍 सरल हिंदी अनुवाद:
“वह (जहन्नम) क्रोध से फटने को है। जब कभी उसमें कोई समूह डाला जाएगा, तो उसके रखवाले (स्वर्गदूत) उनसे पूछेंगे: ‘क्या तुम्हारे पास कोई सचेत करने वाला नहीं आया था?’
🧠 सारांश एवं चिंतन:
🔹 “تَكَادُ تَمَيَّزُ مِنَ ٱلْغَيْظِ” — “वह क्रोध से फटने को है”
यह शब्दों की अतिशयोक्ति नहीं, बल्कि अल्लाह के प्रति अवज्ञा पर स्वयं जहन्नम की प्रतिक्रिया को दर्शाता है।
🔥 जहन्नम केवल सज़ा नहीं, बल्कि एक जीवित शक्ति है जो पाप को देखकर क्रोधित होती है।
🔹 “كُلَّمَآ أُلْقِىَ فِيهَا فَوْجٌۭ” — “जब कभी उसमें कोई समूह डाला जाएगा”
यह व्यक्तिगत नहीं, बल्कि सामूहिक सज़ा का संकेत देता है—ऐसे लोग जो गुमराह थे और हिदायत को ठुकराया था।
🔹 “سَأَلَهُمْ خَزَنَتُهَآ” — “उसके स्वर्गदूत उनसे पूछेंगे”
🔸 यह कोई सामान्य प्रश्न नहीं—यह दुख और न्याय दोनों की गूंज है।
🔸 “क्या तुम्हारे पास कोई सचेत करने वाला नहीं आया?”—यह सवाल वास्तविकता को ठुकराने वालों की शर्मिंदगी को उजागर करता है।
💫 आध्यात्मिक चिंतन:
🌿 हे सत्य के खोजी,
यह आयत दिल को बिजली की तरह झकझोर देती है।
👉 जहन्नम क्रोधित है, लेकिन फ़रिश्ते शांत हैं—वे केवल एक प्रश्न पूछते हैं:
“क्या तुम्हें कोई सचेत करने वाला नहीं आया था?”
हाँ—अल्लाह ने बहुत से सचेत करने वाले भेजे, और क़ुरआन उन सबमें सर्वोत्तम है।
यह संदेश जो आप अभी पढ़ रहे हैं—यह भी एक चेतावनी है, अग्नि की कठोर वास्तविकता से पहले।
🌹 यह आयत केवल भय उत्पन्न करने के लिए नहीं, बल्कि जागरूकता के लिए है।
आप, प्रिय आत्मा, हिदायत की रोशनी से धन्य हैं।
अब यह हमारे ऊपर है कि हम इसे अपनाएं।
💭 चलो सोचें:
- क्या मैंने अपनी चेतावनियों को गंभीरता से लिया है?
- अगर मैं अल्लाह के सामने होता, तो मेरे पास क्या बहाने होते?
- मैं आज ही कैसे दया के मार्ग पर वापस आ सकता हूँ?
🔥 जहन्नम क्रोध से फटने को है। लेकिन दिल ईमान से पिघल सकता है।
🌿 सूरह अल-मुल्क – आयत 9
🕋 अरबी पाठ:
قَالُوا۟ بَلَىٰ قَدْ جَآءَنَا نَذِيرٌۭ فَكَذَّبْنَا وَقُلْنَا مَا نَزَّلَ ٱللَّهُ مِن شَىْءٍ إِنْ أَنتُمْ إِلَّا فِى ضَلَـٰلٍۢ كَبِيرٍۢ
📖 उच्चारण (Transliteration):
Qālū balā qad jā’anā nadhīr, fa-kadh-dhabnā, wa-qul’nā mā nazzalallāhu min shay’; in antum illā fī ḍalālin kabīr.
📘 शब्द-दर-शब्द अर्थ:
🕌 قَالُوا۟ — वे कहेंगे (They will say)
🕌 بَلَىٰ — हां, निश्चित रूप से (Yes, certainly)
🕌 قَدْ — वास्तव में (Indeed)
🕌 جَآءَنَا — हमारे पास आया (Came to us)
🕌 نَذِيرٌۭ — चेतावनी देने वाला (A warner)
🕌 فَكَذَّبْنَا — लेकिन हमने झुठला दिया (But we denied)
🕌 وَقُلْنَا — और हमने कहा (And we said)
🕌 مَا نَزَّلَ ٱللَّهُ — अल्लाह ने कुछ नहीं उतारा (Allah has not revealed)
🕌 مِن شَىْءٍ — कोई भी चीज़ (Anything)
🕌 إِنْ أَنتُمْ — तुम तो बस (You are but)
🕌 إِلَّا — नहीं मगर (Except)
🕌 فِى ضَلَـٰلٍۢ — गुमराही में (In error/misguidance)
🕌 كَبِيرٍۢ — बहुत बड़ी (Great)
🌸 सरल हिंदी अनुवाद:
“वे कहेंगे, ‘हां, एक चेतावनी देने वाला हमारे पास आया था, लेकिन हमने उसे झुठला दिया और कहा कि अल्लाह ने कुछ भी नहीं उतारा। तुम तो बस बड़ी गुमराही में हो।'”
📖 चिंतन एवं सारांश:
💔 पछतावे की स्वीकारोक्ति:
यह अविश्वासियों की दिल दहला देने वाली स्वीकारोक्ति है, जब वे पहले ही जहन्नम में पहुंच चुके होंगे।
आयत 8 में पूछा गया कि वे वहाँ कैसे पहुंचे, और अब वे मान रहे हैं कि चेतावनी देने वाला आया था, लेकिन उन्होंने अहंकारपूर्वक सत्य को नकार दिया।
🧠 ईश्वरीय संदेश का इनकार:
वे केवल नबी को नहीं, बल्कि ईश्वरीय मार्गदर्शन के पूरे विचार को ठुकरा रहे थे, कहकर: “अल्लाह ने कुछ भी नहीं उतारा।”
🔥 सत्य को गुमराही कह देना:
उन्होंने केवल इनकार ही नहीं किया, बल्कि सत्य को गलत और भटके हुए लोगों का मार्ग कहा।
💬 शक्तिशाली संदेश:
कई बार लोग सत्य को सुनते हैं, लेकिन अहंकार, समूह के दबाव, या जिद के कारण इसे स्वीकार नहीं करते।
यह आयत एक आईना है—हमसे पूछती है कि जब हमें सत्य की ओर बुलाया जाए, तो हम कैसी प्रतिक्रिया देते हैं?
🕊️ आमली कदम:
💡 खुद से सवाल करें: जब मुझे सत्य मिलता है, तो क्या मैं इसे विनम्रता से स्वीकार करता हूँ या प्रतिरोध करता हूँ?
📖 हमें कुरआन और हदीस को ईश्वरीय मार्गदर्शन के रूप में अपनाना चाहिए, जिसे उन लोगों ने ठुकराया, जो अब पछता रहे हैं।
🧎 हमें अल्लाह का शुक्र अदा करना चाहिए कि उन्होंने हमें सचेत करने वाले और मार्गदर्शक भेजे, और हमें सही रास्ते पर बनाए रखने के लिए दुआ करनी चाहिए।
🔟 सूरह अल-मुल्क – आयत 10
🕋 अरबी पाठ:
وَقَالُوا لَوْ كُنَّا نَسْمَعُ أَوْ نَعْقِلُ مَا كُنَّا فِىٓ أَصْحَـٰبِ ٱلسَّعِيرِ
🔤 उच्चारण (Transliteration):
Wa qālū law kunnā nasmaʿu aw naʿqilu mā kunnā fī aṣḥābi as-saʿīr
📘 शब्द-दर-शब्द अर्थ:
🕌 وَقَالُوا — और वे कहेंगे (And they will say)
🕌 لَوْ — अगर / काश (If)
🕌 كُنَّا — हम होते (We had been)
🕌 نَسْمَعُ — सुनते (Listening)
🕌 أَوْ — या (Or)
🕌 نَعْقِلُ — समझते (Understanding)
🕌 مَا — तब नहीं (Then not)
🕌 كُنَّا — हम न होते (We would not have been)
🕌 فِىٓ — में (In)
🕌 أَصْحَـٰبِ — साथी (Companions)
🕌 ٱلسَّعِيرِ — जलती हुई आग (Of the blazing fire – Hellfire)
📖 सरल हिंदी अनुवाद:
“और वे कहेंगे, ‘काश! हम सुनते या समझते, तो हम जलती हुई आग (जहन्नम) के साथी न होते।'”
🌺 चिंतन एवं सारांश:
🔹 पछतावे की स्वीकारोक्ति:
यह आयत जहन्नम में जाने वालों की तकलीफदायक स्वीकृति को दर्शाती है—उनका पछतावा सिर्फ अविश्वास पर नहीं, बल्कि उन क्षमताओं का सही उपयोग न करने पर भी है, जो अल्लाह ने हर इंसान को दी हैं।
🧠 अक़्ल (सोचने की शक्ति):
इंसान को गहराई से सोचने, सत्य को समझने और मार्गदर्शन को अपनाने की क्षमता दी गई है।
👂 समा’ (सुनने की शक्ति):
इंसान को अल्लाह के संदेशों, चेतावनियों और नसीहतों को सुनने का अवसर दिया गया है।
💔 वे मानते हैं:
“हमारे पास यह सब था… मगर हमने नजरअंदाज किया।”
🔥 यह एक सार्वभौमिक चेतावनी है—जहन्नम सिर्फ उनके लिए नहीं जो ज्ञान से वंचित हैं, बल्कि उन लोगों के लिए भी जो ज्ञान और मार्गदर्शन की कद्र नहीं करते।
🌿 आमली कदम:
💭 सोचें: जब मैं कुरआन सुनता हूँ, तो क्या मैं ध्यान देता हूँ?
🧠 “जिज्ञासा को मार्गदर्शन की ओर ले जाएं—केवल दिमाग से नहीं, दिल से भी समझें।”
📖 हर दिन एक आयत पर ध्यान दें, प्यार और गहराई से।