“या अल्लाह! हम तेरे बाबरकत कलाम के सफर पर निकल रहे हैं, न सिर्फ पढ़ने के लिए बल्कि गौर व फिकर करने, महसूस करने, मुहब्बत करने और अपनी ज़िंदगी को संवारने के लिए। हमारे दिलों को कुरआन की बहार से सरसब्ज़ व शादाब कर दे।”
मुखलिसाना नोट: कुरआन करीम की फसाहत व बलागत और इसकी गहराई को किसी भी दूसरी ज़बान में पूरी तरह बयान करना मुमकिन नहीं। मेरी कोशिश सिर्फ यह है कि अरबी मतन के लिए हिंदी में एक रहनुमाई फराहम की जाए ताकि इब्तिदाई सतह के कारीन को सहूलत हो। एक संजीदा तालिब इल्म को चाहिए कि वह अरबी ज़बान की तफहीम को मुसल्सल कोशिशों के ज़रिए मज़ीद गहरा करे। कारीन से गुज़ारिश है कि अरबी मतन का मुकाबला कुरआन करीम के मतबूआ नुस्खे के साथ करें। अगर कोई इख्तिलाफ नज़र आए, तो बराए मेहरबानी टिप्पणी के सेक्शन में ज़िक्र करें ताकि बरवाक़्त इसलाह की जा सके। शुक्रिया।
डॉक्टर अनवर जमीक सिद्दीकी
Surah Quraysh) — Chapter 106 of the Qur’an
🌍 Revealed in Makkah | 4 Ayahs | Central theme: Gratitude, protection, sustenance
🌟 Surah in Arabic with Hindi Translation (सरल अनुवाद सहित)
آيَات (Verses)
1. لِإِيلَافِ قُرَيْشٍ
क़ुरैश को अनुकूलता (सहूलियत) देने के लिए,
2. إِيلَافِهِمْ رِحْلَةَ ٱلشِّتَآءِ وَٱلصَّيْفِ
(यानि) सर्दियों और गर्मियों की उनकी यात्राओं में सुविधा देने के लिए,
3. فَلْيَعْبُدُوا۟ رَبَّ هَـٰذَا ٱلْبَيْتِ
तो उन्हें इस घर (काबा) के रब की इबादत करनी चाहिए,
4. ٱلَّذِىٓ أَطْعَمَهُم مِّن جُوعٍۢ وَءَامَنَهُم مِّنْ خَوْفٍۭ
जिसने उन्हें भूख में खाना दिया और डर से अमन प्रदान किया।
📘 Word-by-Word Table
Arabic | English Meaning | Hindi Meaning |
---|---|---|
لِإِيلَافِ | For the familiarity / bonding | अनुकूलता, आदत |
قُرَيْشٍ | Of Quraysh (tribe) | क़ुरैश क़बीला |
إِيلَافِهِمْ | Their familiarity / ease | उनकी आदत |
رِحْلَةَ | Journey / Travel | यात्रा |
ٱلشِّتَآءِ | Of winter | सर्दी |
وَٱلصَّيْفِ | And of summer | और गर्मी |
فَلْيَعْبُدُوا۟ | So let them worship | तो उन्हें इबादत करनी चाहिए |
رَبَّ | Lord / Sustainer | पालनहार |
هَـٰذَا ٱلْبَيْتِ | Of this House (Kaaba) | इस घर (काबा) का |
ٱلَّذِىٓ | The One who | वह जिसने |
أَطْعَمَهُم | Fed them | उन्हें खाना दिया |
مِّن جُوعٍۢ | Against hunger | भूख से मुक्ति |
وَءَامَنَهُم | And gave them security | और उन्हें अमन दिया |
مِّنْ خَوْفٍۭ | From fear | डर से सुरक्षा |
🌈 Detailed Thematic Explanation (गहराई से व्याख्या के साथ):
🌿 1. Allah’s Favor on Quraysh (Verse 1–2)
➡️ अल्लाह ने कुरैश क़बीले को अरब के कठिन जीवन में दो सबसे बड़ी सहूलियतें दीं:
- 🧭 व्यापारिक यात्रा की सुविधा: सर्दी में यमन और गर्मी में शाम (सीरिया) की व्यापारिक यात्राएं।
- 🛡️ सुरक्षित मार्ग और सम्मान: क्योंकि वे काबा के संरक्षक थे, लोग उन्हें आदर देते थे।
📌 शिक्षा: अल्लाह जब किसी कौम को नेमत देता है, तो वह केवल भौतिक नहीं होती — सम्मान, सुरक्षा और संसाधनों की सहूलियत भी उसी की रहमत है।
🕋 2. काबा और इबादत की ओर बुलावा (Verse 3)
- अल्लाह याद दिला रहा है कि इन सब सुविधाओं का स्रोत वही है, और इसलिए उनकी इबादत उसी को करनी चाहिए।
- वह रब्बुल बायत (काबा का रब) है — जो हरेक को देता है लेकिन उन्हें खास मान देकर जिम्मेदारी भी दी है।
📝 दर्शक संकेत: जिस घर (काबा) की वजह से तुमको सुरक्षा और इज़्ज़त मिली — उस घर के मालिक की इबादत ही सच्चा शुक्रिया है।
🍞🕊️ 3. Sustenance and Safety — Two Great Blessings (Verse 4)
- अल-इता’म (भूख से राहत): जब आस-पास के लोग भूखे थे, कुरैश को खाने की कमी नहीं हुई।
- अमन (डर से मुक्ति): वो एक समय था जब अरब में लूट और डर आम बात थी, लेकिन काबा की वजह से कुरैश को खास हिफाज़त मिली।
📖 गहरी बात: अल्लाह की ये दो नेमतें — रिज़्क़ और अमन — इस्लामी समाज की नींव हैं।
💫 Reflective Lessons (सीख और प्रेरणा)
विषय | सन्देश |
---|---|
🛡️ सुरक्षा | हर सुरक्षा अल्लाह की दी हुई है — चाहे समाज में हो या आत्मा में। |
🍞 रोज़ी | रोज़ी-रोटी का इंतज़ाम अल्लाह की नेमत है, इसका शुक्र ज़रूरी है। |
🕋 केंद्र | काबा सिर्फ इबादत की जगह नहीं, बल्कि उम्मत की इकाई और रहमत का केंद्र है। |
🤲 शुक्रगुज़ारी | हर सहूलियत और सुविधा के पीछे एक शुक्र और इबादत की जिम्मेदारी है। |
📜 Summary in One Line:
“जब अल्लाह ने तुम्हें अमन और रोज़ी दी, तो उसका शुक्र अदा करो — इबादत करके।”
🌺 दुआ
یا اللہ!
जिस तरह तू ने क़ुरैश को भूख में खाना दिया, हमें भी हलाल रिज़्क़ अता फ़रमा।
जिस तरह तू ने उन्हें डर और खौफ़ में अमन दिया, हमें भी अपने अमन व अमान की चादर में छुपा ले।
हमारे दिलों को इबादत के लिए ज़िंदा कर दे, और हमें शुकरगुज़ारी के रास्ते पर चला।
काबा के रब! तू ही हमारा रब है — हमें सिर्फ़ अपना बंदा बना ले।
हमारी नस्लों को भी इबादत, शुकर, और अमन की नेमतों का वारिस बना दे।
आमीन, या रब्बुल आलमीन۔ 🌸