सूरह अल-मसद (खजूर की रस्सी) 🌿
सूरह अल-मसद, जिसे सूरह लहब भी कहते हैं, कुरआन की 111वीं सूरह है, जो मक्का में नाज़िल हुई। यह छोटी मगर ताकतवर सूरह अबू लहब, पैगंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) के चाचा, और उनकी पत्नी उम्म जमील के बारे में बताती है, जो इस्लाम के सख्त दुश्मन थे। यह सूरह हमें सिखाती है कि घमंड, नफरत, और दौलत अल्लाह के इंसाफ से नहीं बचा सकती। आइए, इसकी आयतों को दिल से समझें और उनसे सबक लें। 🕋
1. मूल अरबी आयतें 📜
بِسْمِ اللهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ
تَبَّتْ يَدَآ أَبِى لَهَبٍ وَتَبَّ
مَآ أَغْنَىٰ عَنْهُ مَالُهُۥ وَمَا كَسَبَ
سَيَصْلَىٰ نَارًا ذَاتَ لَهَبٍ
وَٱمْرَأَتُهُۥ حَمَّالَةَ ٱلْحَطَبِ
فِى جِيدِهَا حَبْلٌ مِّن مَّسَدٍ
2. शब्द-दर-शब्द अनुवाद सरल हिंदी में (उर्दू शब्दों के साथ, देवनागरी लिपि) 🌟
अरबी आयत | सरल हिंदी अनुवाद (उर्दू शब्दों के साथ) |
---|---|
تَبَّتْ | बर्बाद हो |
يَدَآ | हाथ |
أَبِى لَهَبٍ | अबू लहब (नाम) |
وَتَبَّ | और बर्बाद हो |
مَآ أَغْنَىٰ | न काम आया |
عَنْهُ | उसके लिए |
مَالُهُۥ | उसका पैसा |
وَمَا كَسَبَ | और जो कमाया |
سَيَصْلَىٰ | वो जलेगा |
نَارًا | आग में |
ذَاتَ لَهَبٍ | ज्वाला वाली |
وَٱمْرَأَتُهُۥ | और उसकी बीवी |
حَمَّالَةَ | लाने वाली |
ٱلْحَطَبِ | लकड़ी |
فِى جِيدِهَا | उसकी गरदन में |
حَبْلٌ | रस्सी |
مِّن مَّسَدٍ | खजूर की रस्सी |
3. प्रत्येक आयत की गहरी व्याख्या (सरल हिंदी में) 🕉️
आयत 1: बर्बाद हो अबू लहब के हाथ, और बर्बाद हो वो!
व्याख्या: यह आयत अल्लाह का हुक्म है जो अबू लहब के बुरे कामों को लानत भेजता है। अबू लहब पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) के चाचा थे, मगर उन्होंने इस्लाम के खिलाफ नफरत और दुश्मनी की। उनके “हाथ” का मतलब उनके बुरे काम हैं, जैसे पैगंबर को सताना और मजाक उड़ाना। अल्लाह दो बार कहता है “बर्बाद हो” ताकि यह पक्का हो कि उसका अंजाम बुरा होगा।
➡ सबक: जो सच के खिलाफ लड़ता है, वो अपने आप को बर्बाद करता है। हमें नरमी और सचाई से जीना चाहिए, न कि घमंड या नफरत से। 🌱
आयत 2: न काम आया उसका पैसा, और न जो उसने कमाया।
व्याख्या: अबू लहब के पास बहुत पैसा और इज्जत थी, लेकिन यह सब उसे अल्लाह के अजाब से न बचा सका। “जो उसने कमाया” का मतलब उसकी दौलत, शोहरत, या उसके बच्चे जो उसका नाम आगे ले जाते। यह आयत बताती है कि दुनिया की चीजें फानी हैं—सिर्फ अल्लाह के लिए किए गए काम काम आते हैं।
➡ सबक: हमें पैसा या शोहरत के पीछे नहीं, बल्कि नेक काम के पीछे भागना चाहिए। यही हमें जन्नत के करीब ले जाता है। ✨
आयत 3: वो जलेगा ज्वाला वाली आग में।
व्याख्या: अबू लहब का नाम ही “शोला” या “आग” को दर्शाता है। अल्लाह कहता है कि वो आखिरत में भयानक आग में जलेगा। यह उसकी नफरत और बुराई का नतीजा है। “ज्वाला वाली आग” उसके गुस्से और इस्लाम के खिलाफ जंग को भी दिखाती है।
➡ सबक: जो नफरत और बुराई फैलाता है, उसका अंजाम दुखदायी होता है। हमें अपने दिल को प्यार और ईमान से भरना चाहिए। 🕯️
आयत 4: और उसकी बीवी, लकड़ी लाने वाली।
व्याख्या: अबू लहब की बीवी, उम्म जमील, को “लकड़ी लाने वाली” कहा गया। इसका मतलब है कि वो अपने शौहर की बुराई में साथ देती थी। वो झूठ बोलती थी और पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) को तकलीफ देती थी। यह शायद उसकी आखिरत की सजा भी दिखाता है, जहां वो शर्मनाक काम करेगी।
➡ सबक: हमें अपने साथी और दोस्तों को सचाई वाले चुनना चाहिए। बुरे काम में साथ देना हमें भी गुनहगार बनाता है। 🌸
आयत 5: उसकी गरदन में खजूर की रस्सी।
व्याख्या: उम्म जमील की गरदन में “खजूर की रस्सी” होगी। यह उसकी जिल्लत को दिखाता है। खजूर की रस्सी सख्त और सस्ती होती है, जो उसके घमंड के टूटने को दर्शाती है। शायद यह उसकी सजा है कि वो आखिरत में शर्मनाक हाल में होगी।
➡ सबक: घमंड और बुरा काम हमें छोटा करता है। हमें नरमी और नेक काम से अपनी जिंदगी संवारनी चाहिए। 📿
4. काव्यात्मक दुआ (सरल हिंदी में) 🌺
ऐ अल्लाह, दिल का नूर तू,
हमें रख सदा सच के नूर में।
नफरत से बचा, प्यार सिखा,
दिल को बना दे गुलज़ार में।
घमंड से दूर, ईमान से करीब,
हमें चला तू अपनी राह में।
हिदायत दे, रहमत बरसा,
रखें सदा तू अपनी पनाह में।
अमीन 🌺
5. मुख्य अरबी शब्दों की तालिका 📚
अरबी शब्द | सरल हिंदी अर्थ |
---|---|
تَبَّتْ | बर्बाद हो |
يَدَآ | हाथ |
أَبِى لَهَبٍ | अबू लहब (नाम) |
مَآ أَغْنَىٰ | न काम आया |
مَالُهُۥ | उसका पैसा |
مَا كَسَبَ | जो कमाया |
سَيَصْلَىٰ | वो जलेगा |
نَارًا | आग |
ذَاتَ لَهَبٍ | ज्वाला वाली |
حَمَّالَةَ ٱلْحَطَبِ | लकड़ी लाने वाली |
حَبْلٌ | रस्सी |
مَّسَدٍ | खजूर की रस्सी |
6. सूरह अल-मसद की कुरआनी हिकमत 🕋
सूरह अल-मसद हमें कई बड़े सबक सिखाती है:
- अल्लाह का इंसाफ: यह सूरह पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) और उनके साथियों को तसल्ली देती है कि अल्लाह सब देखता है। अबू लहब कितना भी ताकतवर था, उसे अपने बुरे कामों का नतीजा भुगतना पड़ा। यह बात कुरआन में और जगह भी है, जैसे सूरह अल-इस्रा (17:81) में: “सच आया, और झूठ मिट गया।”
- घमंड का अंजाम: अबू लहब और उम्म जमील का घमंड उनकी दौलत और इज्जत से आया। कुरआन कहता है कि घमंड से दूर रहो, जैसे सूरह लुकमान (31:18) में: “लोगों से मुँह मत मोड़ो घमंड में।” नरमी ही असली कामयाबी है।
- काम का हिसाब: हर काम का नतीजा होता है। सूरह अज़-ज़लज़ला (99:7-8) कहती है: “जो एक ज़र्रा अच्छा करेगा, उसे देखेगा, और जो बुरा करेगा, उसे देखेगा।” हमें अपने काम सोच-समझकर करने चाहिए।
- साथी का असर: उम्म जमील ने अपने शौहर के बुरे काम में साथ दिया। कुरआन कहता है कि अच्छे लोगों के साथ रहो, जैसे सूरह अल-कहफ (18:28) में: “उनके साथ रहो जो सुबह-शाम अल्लाह को याद करते हैं।”
- दुनिया की चीजें फानी: अबू लहब का पैसा उसे नहीं बचा सका। सूरह अल-हमज़ा (104:2-3) में भी यही है कि जो लोग अपने पैसे पर घमंड करते हैं, वो गलत हैं। असली अमानत ईमान और नेक काम में है।
यह सूरह एक नबूव्वत भी थी। अबू लहब और उनकी बीवी ने कभी तौबा नहीं की, और उनका अंजाम वैसा ही हुआ जैसा अल्लाह ने कहा। यह दिखाता है कि अल्लाह का कलाम सच है। हमें अपने दिल को साफ रखना चाहिए और हमेशा माफी माँगते रहना चाहिए। 🌿
7. नरम अंतिम शब्द 🙏
सूरह अल-मसद हमें सिखाती है कि दिल को नरम रखो, सच के साथ रहो, और घमंड से बचो। यह सूरह याद दिलाती है कि अल्लाह के रास्ते पर चलना ही असली जीत है। आइए, अपनी जिंदगी को प्यार, ईमान, और नेक काम से रोशन करें। अल्लाह हमें हिदायत दे और अपनी रहमत से नवाज़े। 😊 अमीन 🌺